. हिट एंड रन कानून :—- इन दिनों कुछ ट्रक ऑपरेटर्स यूनियन, ट्रांसपोर्ट यूनियन, चालक संगठन, टेक्सी यूनियन के लोगो द्वारा नये दुर्घटना से संबंधित प्रावधानों जिनका नए कानून में प्रावधान किए गए हैं इसका विरोध कर हड़ताल चक्का जाम कर रहे है व उग्र आंदोलन किया जा रहा है यह आंदोलन किस कारण से किया जा रहा है? क्या राजनीति से प्रेरित है? क्या सरकार के विरुद्ध षड्यंत्र है? अथवा कठोर कानून का ड़र भय है यह कहा नहीं जा सकता परंतु भारतीय न्याय संहिता 2023 में दुर्घटना से संबंधित जो नए कानूनी प्रावधान किए गए हैं उन्हें ठीक से समझे तो यह नए कानून किसी भी प्रकार से ट्रक यूनियन ड्राइवर संगठन या किसी भी आम आदमी के हितों के विरुद्ध नहीं है इन्हें ठीक से नहीं समझा पाना ही झगडे फ़साद की जड़ है पूर्व भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों व नए न्याय संहिता 2023 में दुर्घटना संबंधित प्रावधानों में कोई विशेष अंतर नहीं है पहले समझे की सरकार को नए कानून बनाने की आवश्यकता क्यों पड़ी .
**नए दुर्घटना संबंधित प्रावधानों की आवश्यकता क्यों?*— आमतौर पर किसी भी वाहन द्वारा दुर्घटना कार्य करने के पश्चात आरोपी वाहन ड्राइवर मौके से फरार हो जाता है इसके दो परिणाम होते हैं (1)पहले दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को मेडिकल व आवश्यक सहायता नहीं मिल पाती इसके अभाव में अधिकांश लोगों की मृत्यु हो जाती है (2) ड्राइवर के मौके से भाग जाने पर व पुलिस के पकड़ में नहीं आने से दुर्घटना के आरोप वाहन की पहचान नहीं होने से पीड़ित दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को मेडिकल क्लेम राशि नहीं मिल पाती हैं .
नये और पुराने कानूनों में अंतर देखे….
*पुराने कानून IPC*-(1) धारा 279 — लोग मार्ग पर उतावलेपन से वाहन चलाना व हाकना , *सजा* 6 माह तक का कारावास, 1000 जुर्माना या दोनों (2) धारा 337 — ऐसे कार्य द्वारा उपहति करना जिससे दूसरे का जीवन संकटापन्न हो जाए *सजा* 6 माह तक का कारावास, ₹500 जुर्माना या दोनों (3) धारा 338 :– ऐसे कार्य द्वारा घोर उपहति करना जिससे दूसरे का जीवन संकटापन्न हो जाए ,सजा 2 वर्ष तक का कारावास व ₹ 1000 जुर्माना या दोनों (4) धारा 304 ए :— उपेक्षा द्वारा मृत्यु कारीत करना ,सजा 2 वर्ष तक का कारावास व जुर्माना या दोनों , उपरोक्त पुरानी दंड संहिता के यह सभी प्रावधान *संज्ञेय अपराध व जमानतीय थे* इसके अलावा मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 134/187 में दुर्घटना के समय ड्राइवर के कर्तव्य की पालना नहीं करनेमोके से भाग जाने पर पर दंड का प्रावधान किया गया था । सजा 6 माह का कारावास वह 5000 जुर्माना का प्रावधान भी पूर्व से था.
*नए कानून भारतीय न्याय संहिता 2023 में बनाए गए कानून* धारा 106(1) :– उपेक्षा द्वारा मृत्यु कारीत करना– जो कोई उतावलेपन से ऐसे व्यक्ति की मृत्युकारीत करेगा जो आपराधिक मानववध की कोटि में नहीं आता है वह 5 वर्ष तक के कारावास व जुर्माना से दंडित किया जा सकता है धारा 106 (2)— जो कोई उतावलेपन या उपेक्षापूर्ण किसी कार्य से किसी व्यक्ति की मृत्यु कारीत करेगा जो आपराधिक मानव वध नहीं है ओर घटनास्थल से निकल भागेगा या घटना के तत्काल पश्चात पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को घटना की सूचना देने में असफल रहेगा वह 10 वर्ष तक के कारावास व जुर्माना से दंडनीय किया जा सकेगा *यह दोनों अपराध संज्ञेय व अजमानतीय* प्रवृत्ति के होंगे। अर्थात पुरानी आईपीसी में एक्सीडेंट करने में ,एक्सीडेंट के बाद आरोपी के भाग जाने, संबंधित सभी प्रावधान पूर्व से ही है नई भारतीय न्याय संहिता में केवल मात्र सजाओ को बढ़ाया गया है एवं अपराध को जमानती अपराध से अजमानती अपराध बनाया गया है
यह प्रावधान करने का संसद का उद्देश्य मेरी राय में सिर्फ इतना ही है कि सर्वप्रथम दुर्घटना होने पर आरोपी घटना स्थल से भागे नही , बल्कि दुर्घटनाग्रस्त व्यक्तियों की मदद करें पुलिस प्रशासन को सूचना दे क्योंकि उसने जानबूझकर दुर्घटना कारीत नहीं की है और यह उसका कर्तव्य है कि दुर्घटना होने पर वह यथा संभव मदद करें इससे आरोपी को भी लाभ मिलेगा उसके इस सदभावना पूर्वक किए गए कृत्य से उसकी सजा भी कम की जा सकती हैऐसा अपराधी को 7 साल तक की कोई भी सज़ा दी जा सकती है जरुरी नहीं है की पूरी 5 साल की ही सज़ा दी जाये…दूसरा दुर्घटनाग्रस्त यह की मृत व्यक्तियों को उनका मेडिकल क्लेम समय पर मिल सके तीसरा जब दुर्घटना होती है तब पीड़ित को तुरंत अस्पताल व मेडिकल सहायता मिलने से दुर्घटना में होने वाली मृत्यु दर कम होगी ये नए कानून सभी के लिए हैं चाहे व्यक्ति कितना ही छोटा बड़ा क्यों ना हो हर वर्ग ,भारत के हर व्यक्ति पर यह कानून लागू होगा *यह कानून केवल ट्रक ड्राइवर या ट्रोलर ड्राइवर के विरुद्ध नहीं बने हैं बल्कि प्रत्येक दुपहिया ,चौपहीया मोटरसाइकिल समस्त कार, ट्रक टेंपो ,टैक्सी, मोपेड सभी श्रेणी के वाहनों के लिए समरूप लागू होंगे*
एक बहुत बड़ा प्रश्न ट्रक ड्राइवर द्वारा यह उठाया जा रहा है। दुर्घटना के समय यदि जिस वाहन से दुर्घटना होती है उसका ड्राइवर मौके पर रुकता है दुर्घटनाग्रस्त लोगों की मदद करता है तो आम जनता मौके पर एकत्रित हो जाएगी और उसके साथ मारपीट व मृत्यु भी कारीत सकती है ऐसे में दुर्घटना के बाद मदद के लिए क्यों रुकेगा और यदि रुकता है तो व्यक्तिगत सुरक्षा व वाहन की सुरक्षा की क्या गारंटी है यह प्रश्न जायज भी है और प्रैक्टिकल भी है यदि आरोपी ड्राइवर जनता के पकड़ में आ जाए तो भारत में आमतौर पर उसके साथ मौके पर मारपीट व उसके वाहन के साथ तोड़फोड़ करना आम बात है इस समस्या का समाधान करने के लिए *नई आईपीसी में भारतीय संसद द्वारा प्रावधान किए गए हैं जिन्हें संगठित अपराधों की श्रेणी में रखा गया है अगर ऐसी स्थिति में संगठन या समूह एकल या संयुक्त रूप से इस प्रकार किसी व्यक्ति के साथ मारपीट करते हैं तो उन्हें संगठित अपराध की धारा 111,112 के अंतर्गत आरोपित किया जा सकता है धारा 111में संगठित अपराध की करने पर मृत्यु होने पर ऐसे लोगों के विरुद्ध मृत्यु या आजीवन कारावास या जुर्माना जो 10 लाख रुपए से कम का नहीं होगा* का प्रावधान किया गया है इसलिए हम सभी का दुर्घटना संबंधित नए कानून से डरने की आवश्यकता नहीं है दुर्घटना जानबूझकर नहीं की जाती परंतु दुर्भाग्यवश दुर्घटना हो जाए तो हमारा कर्तव्य है कि हम पीड़ित, आहत व्यक्तियों की मेडिकल सहायता करें उन्हे अस्पताल पहुंचाएं घटना की सूचना पुलिस प्रशासन को दें हमारा यह कार्य हमें आगे कानूनी सहायता ही देगा लेकिन अगर आप दुर्घटना के उपरांत मौके से भाग जाते हैं तो आपको 10 साल की सजा मिलेगी *दुर्घटना के बाद मौके पर तमाशा देखने वाले भी सावधान रहे यदि मौके पर मारपीट की और कोई मर गया तो सभी के लिए आजीवन कारावास का प्रावधान है और 10 लाख रुपए का जुर्माना भी भरना पड़ेगा इसलिए* दुर्घटना होने पर पीड़ित लोगों की मदद करें उन्हें अस्पताल पहुंचाने ,घटना की सूचना प्रशासन को दे, घटना पर फोटोग्राफी ,वीडियो ग्राफी या हुड़दंग नहीं करें।जय हिन्द
ReplyForwardAdd reaction |