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CAA क्या है ?

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CAA क्या है ?

केंद्र सरकार ने आज नागरिकता संशोधन कानून(CAA) लागू करने के लिए अधिसूचना जारी कर दी है. सीएए क्याहै? इससे जुड़ी इतनी सारी समस्याएं क्यों हैं? ये सवाल आम जनता के मन में उठ रहे हैं. नागरिकता संशोधन कानून(CAA) आज पारित नहीं हुआ है  ये एक्ट.. दिसंबर 2019 में संसद से पास हो गया था. आज सिर्फ इसका नोटिफिकेशन आया है यह संशोधन अधिनियम भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 में बदलाव के लिए लाया गया था। इस अधिनियम में अब तक(6 )छह बार (1986, 1992, 20032005 और 2019) संशोधन किया जा चुका है। पहले भारतीय नागरिकता पाने केलिए ग्यारह साल तक भारत में रहना जरूरी था। लेकिन नए संशोधनमें यह अवधि घटाकर 6 साल कर दी गई है. इस अधिनियम के तहत 31 दिसंबर2014 से पहले इन तीन देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से प्रताड़ित होकर भारत आए हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई जाति केलोगों को नियमानुसार भारतीय नागरिकता दी जाएगी

नागरिकता प्राप्त करने की प्रक्रिया के लिए भारत सरकार ने ऑन-लाइन पोर्टल बनाया है। जिसमें आवेदन करते समय आवेदक को बताना होगा कि वह भारत कब आया और कितने वर्षों से रह रहा है। इसके लिए किसी पासपोर्ट की आवश्यकता नहीं है और न ही उस देश से किसी अनापत्तिप्रमाण पत्र की आवश्यकता है जहां से व्यक्ति आया है। पुलिस जांचके बाद ही नागरिकता प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा। 2019 से ही इस कानून की कुछ मुस्लिम संगठनों द्वारा आलोचना की जा है और कुछराजनीतिक दल भी इसे मुस्लिम विरोधी बता रहे हैं और तर्क दे रहे हैं कि CAA लागू होने से मुसलमानों की नागरिकता खत्म हो जाएगी. यह उन्हें भारतसे बाहर निकालने की साजिश है.’ इसके खिलाफहुई हिंसा में अब तक50-60 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि इस कानून का उद्देश्य किसी भी भारतीय व्यक्ति को प्रभावित करना या उसकी नागरिकता छीनना नहीं है। मुस्लिमों के विरोध का कारण यह बताया जाता है कि इसमें हिंदू, जैन,इसमें सिर्फ सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को ही नागरिकतादेने का प्रावधान है, मुस्लिम समुदाय को नहीं. इसलिए इस से मुस्लिम समुदाय में नाराजगी है और वे इसे अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताते हैं. जबकि सरकार का दावा है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान ओर बांग्लादेश उत्पीड़त होकर आए वहां के अल्पसंख्यक समुदायों को उत्पीड़न से राहत प्रदान करना इस अधिनियम का उद्देश्य है चूँकि इन तीन देशों में मुसलमान अल्पसंख्यक नहीं बल्कि बहुसंख्यक हैं, इसलिए उन्हें इसमें शामिल नहींकिया गया है CAA हालाँकि, इस एक्ट  से जुड़ी कई याचिकाएँअभी भी सुप्रीम कोर्ट मेंविचाराधीन हैं। अब यह कानून लागू हो गया हैतो सुप्रीम कोर्ट उन याचिकाओं पर क्या निर्णय करेगा, इसकाफैसला अभी भविष्य के गर्भ में है.

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