भारतीय
दंड संहिता में महिलाओं से संबंधित अपराध
धारा- 304 बी – (दहेज मृत्यु )- जहां किसी स्त्री की मृत्यु किसी शारीरिक क्षति द्वारा कार्य की जाती है या उनके विवाह के 7 वर्ष के भीतर सामान्य परिस्थितियों से अन्यथा हो जाती है और वह दृशित किया जाता है कि उसकी मृत्यु के कुछ पूर्व उसके पति ने या उसके पति के किसी नातेदार ने दहेज की किसी मांग के लिए या उसके संबंध में उसके साथ क्रूरता की थी या उसे तंग किया था वहां ऐसी मृत्यु को दहेज मृत्यु कहा जाएगा और ऐसा पति या नातेदार उसकी मृत्यु कार्य करने वाला समझा जाएगा स्पष्टीकरण इस उप धारा के प्रयोजन के लिए दहेज का वही अर्थ है जो दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961 (1961या 28)की धारा 2 में है (2) जो कोई दहेज मृत्यु कार्य करेगा वह कारावास से जिसकी अवधि 7 वर्ष से कम नहीं होगी किंतु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी दंडित किया जाएगा .
धारा- 312 (गर्भपात कारित करना)- जो कोई गर्भवती स्त्री का स्वेच्छाया या गर्भपात पारित करेगा यदि ऐसा गर्भपात उस स्त्री का जीवन बचाने के प्रयोजन से सद्भाव पूर्वक कार्य न किया जाए तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास जिसकी अवधि 3 वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा और यदि वह स्त्री स्पंद गर्भा हो तो वह दोनों में से किसी बातें के कारावास से जिसकी अवधि 7 वर्ष तक की हो सकेगी दंडित किया जाएगा या जुर्माने से भी दंडित होगा . धारा- 313 (स्त्री की सम्मती के बिना गर्भपात कारित करना)- जो कोई उस स्त्री की सम्मति के बिना चाहे वह स्त्री स्पंद गर्भा हो या नहीं पूर्ववर्ती अंतिम धारा में परिभाषित अपराध करेगा आजीवन कारावास से या दोनों में से किसी भांति के कारावास जिसकी अवधि 10 वर्ष की हो सकेगी से दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा . धारा- 314 गर्भपात पारित करने के आदेश से किए गए कार्यों द्वारा कारित मृत्यु -:जो कोई गर्भवती स्त्री का गर्भपात पारित करने के आशय से कोई ऐसे कार्य करेगा जिससे ऐसी स्त्री की मृत्यु कार्य हो जाए वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि 10 वर्ष तक की हो सकेगी दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडित होगा . धारा- 315 शिशु का जीवित पैदा होना रोकने या जन्म के पश्चात उसकी मृत्यु कार्य करने के आशय से किया गया कार्य- जो कोई किसी शिशु के जन्म से पूर्व कोई कार्य इस आशय से करेगा कि उस शिशु का जीवित पैदा होना तदद्वारा रोका जाए या जन्म के पश्चात तदद्वारा उसकी मृत्यु कारीत हो जाए और ऐसे कार्य से उस शिशु का जीवित पैदा होना रोकेगा या उसके जन्म के पश्चात उसकी मृत्यु कारित कर देगा यदि वह कार्य माता के जीवन को बचाने के प्रयोजन से सद्भाव पूर्वक नहीं किया गया हो तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास जिसकी अवधि 10 वर्ष तक कि वह सकेगी या जुर्माने या दोनों से दंडित किया जाएगा . धारा –316- ऐसे कार्य द्वारा जो अपराधिक मानव वध की कोटि में आता है, किसी जीव व अज्ञात शिशु की मृत्यु कार्य करना- जो कोई ऐसा कार्य ऐसी परिस्थिति में करेगा कि यदि वह तददरा मृत्यु कार्य कर देता तो वह अपराधिक मानव वध का दोषी होता और कार्य द्वारा किसी सजीव अज्ञात शिशु की मृत्यु कार्य करेगा वह दोनों में से किसी भांति के कारावास जिसकी अवधि 10 वर्ष तक की हो सकेगी दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय नहीं होगा
धारा- 317 शिशु के माता या पिता या उसकी देखरेख करने वाले व्यक्ति द्वारा 12 वर्ष से कम आयु के शिशु का आरक्षित डाल दिया जाना या परित्याग करना:- जो कोई 12 वर्ष से कम आयु के शिशु को माता या पिता होते हुए या ऐसे शिशु की देखरेख का भार रखते हुए ऐसे शिशु को पूर्णतया पैदा करने के आशय से उस शिशु को किसी स्थान आरक्षित डाल देगा या छोड़ देगा वह दोनों में से किसी भांति के कारावास जिसकी अवधि 7 वर्ष तक की हो सकेगी जुर्माने या दोनों से दंडित किया जाएगा. धारा 318 -(मृत शरीर के गुप्त व्ययन द्वारा जन्म छुपाना) – जो कोई किसी शिशु के मृत शरीर को गुप्त रूप से गाड़ कर या अन्यथा उसका व्ययन करके चाहे ऐसे शिशु की मृत्यु उसके जन्म से पूर्व या पश्चात या जन्म के दौरान में हुई हो ऐसे शिशु के जन्म को साशय छिपाएगा या छिपाने का प्रयास करेगा वह दोनों में से किसी भारत तक के कारावास जिसकी अवधि 2 वर्ष तक की हो सकेगी जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा. धारा 354 :-स्त्री के लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग ——- जो कोई किसी स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से या वह समभावय जानते हुए किसी द्वारा व उसकी लज्जा भंग उस स्त्री पर हमला करेगा या आपराधिक बल का प्रयोग करेगा वह दोनों में से किसी भांति के कारावास जिसकी अवधि 1 वर्ष से कम नहीं होगी किंतु 5 वर्ष तक की हो सकेगी दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा.
धारा- 354क – लैंगिक उत्पीडन और लैंगिक उत्पीडन के लिए दण्ड
(1) ऐसा कोई निम्नलिखित कार्य, अर्थात्:-
(i) शारीरिक संपर्क और अग्रक्रियाएं करने, जिनमें अवांछनीय और लैंगिक संबंध बनाने संबंधी स्पष्ट प्रस्ताव अंतर्वलित हों या (ii) लैंगिक स्वीकृति के लिए कोई मांग या अनुरोध करने या (iii) किसी स्त्री की इच्छा के विरूद्ध बलात् अश्लील साहित्य दिखाने या
(iv) लैंगिक आभासी टिप्पणियां करने वाला पुरुष लैंगिक उत्पीडन के अपराध का दोषी होगा।
(2) ऐसा कोई पुरूष, जो उपधारा (1) के खंड (1) या खंड (ii) ) या खंड (iii)में विनिर्दिष्ट अपराध करेगा, वह कठोर कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की
हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा। (3) ऐसा कोई पुरूष, जो उपधारा (1) के खंड (iv) में विनिर्दिष्ट अपराध करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावाससे, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी,
या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा। धारा- 354 ख – विवस्त्र करने के आशय से स्त्री पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग
ऐसा कोई पुरूष, जो किसी स्त्री को विवस्त्र करने या निर्वस्त्र होने के लिए बाध्य करने के आशय से उस पर हमला करेगा या उसके प्रति आपराधिक बल का प्रयोग करेगा या ऐसे कृत्य का दुष्प्रेरण करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा। धारा- 354 (ग):- दृश्यरतिकता—– ऐसा कोई पुरुष जो कोई ऐसी किसी स्त्री जो उन परिस्थितियों के जिनमें वह यह प्रत्याशा करती है कि उसे अपराध करने वाला या अपराध करने वाले के कहने पर कोई अन्य व्यक्ति देख नहीं रहा होगा किसी प्राइवेट करते में लगी किसी स्त्री को एकटक देखेगा या उसका चित्र खींचेगा अथवा उस चित्र को प्रसारित करेगा प्रथम दोष सिद्धि पर दोनों में से किसी भांति के कारावास जिसकी अवधि 1 वर्ष से कम नहीं होगी किंतु जो 3 वर्ष तक की हो सकेगी दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडित किया जाएगा द्वितीय and subsequent convicition किसी भी convictionपर कारावास जिसकी अवधि 3 वर्ष से कम की नहीं होगी किंतु जो 7 वर्ष तक की हो सकेगी दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडित होगा. धारा 354 घ – पीछा करना (1) ऐसा कोई पुरूष, जो-
(i) किसी स्त्री का उससे व्यक्तिगत अन्योन्यक्रिया को आगे बढाने के लिए, उस स्त्री द्वारा स्पष्ट रूप से अनिच्छा उपदर्शित किए जाने के बावजूद, बारंबार पीछा करता है। और संपर्क करता है या संपर्क करने का प्रयत्न करता है, अथवा
(ii) जो कोई किसी स्त्री द्वारा इंटरनेट, ई-मेल या किसी अन्य प्ररूप की इलेक्ट्रोनिक संसूचना का प्रयोग किए जाने को मॉनीटर करता है, पीछा करने का अपराध करतापरन्तु ऐसा आचरण पीछा करने की कोटि में नहीं आएगा, यदि वह पुरुष, जो
ऐसा करता है, यह साबित कर देता है कि –
(i) ऐसा कार्य अपराध के निवारण या पता लगाने के प्रयोजन के लिए किया गया था और पीछा करने के अभियुक्त पुरूष को राज्य द्वारा उस अपराध के निवारण और पता लगाने का उतरदायित्व सौंपा गया था. या
(ii) ऐसा किसी विधि के अधीन या किसी विधि के अधीन किसी व्यक्ति द्वारा अधिरोपित किसी शर्त या अपेक्षा का पालन करने के लिए किया गया था. या (iii) विशिष्ट परिस्थितियों में ऐसा आचरण कार्य युक्तियुक्त और न्यायोचित था।
(2) जो कोई पीछा करने का अपराध करता है, वह प्रथम दोषसिद्धि पर किसी भांति के कारावास से जो तीन वर्ष तक हो सकेगा और जुर्माने का भी दायी होगा तथा दूसरी अथवा पश्चात्वर्ती दोषसिद्धि पर किसी भांति के कारावास से जो पांच वर्ष तक का हो सकेगा तथा जुर्माने का भी दायी होगा। धारा- 366 —– विवाह आदि के करने को विवश करने के लिए किसी स्त्री को व्यपहृत करना, अपहृत करना या उत्प्रेरित करना—— जो कोई किसी स्त्री का व्यपहरण या अपहरण उसकी इच्छा के विरूद्ध किसी व्यक्ति से विवाह करने के लिए उस स्त्री को विवश करने के आशय से या वह विवश की जायेगी यह सम्भाव्य जानते हुये अथवा अयुक्त संभोग करने के लिए उस स्त्री को विवश या विलुब्ध करने के लिए या वह स्त्री अयुक्त संभोग करने के लिए विवश या विलुब्ध की जायेगी, यह सम्भाव्य जानते हुये करेगा, वह दोनो में से किसी भाँति के कारावास जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जायेगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा, और जो कोई किसी स्त्री को किसी अन्य व्यक्ति से अयुक्त सम्भोग करने के लिए विवश या विलुब्ध करने के आशय से या वह विवश या विलुब्ध की जायेगी यह सम्भाव्य जानते हुए इस संहिता मे यथापरिभाषित आपराधिक अभित्रास द्वारा अथवा प्राधिकार के दुरूपयोग या विवश करने के अन्य साधन द्वारा उस स्त्री को किसी स्थान से जाने को उत्प्रेरित करेगा, वह भी पूर्वोक्त प्रकार से दण्डित किया जायेगा। धारा 366 (क) अप्राप्त वह लड़की का उपापन ——- कोई किसी 18 वर्ष से कम आयु की अपर्याप्त वह लड़की को अन्य व्यक्ति से अयुक्त संभोग करने के लिए विवश या विलुबध करने के आशय से तदद्दारा विवश या विलुबध जाएगा यह संभाव्य जानते हुए ऐसी लड़की को किसी स्थान से ले जाने को या कोई कार्य करने को किसी स्थान द्वारा उत्प्रेरित करेगा वह कारावास से जिसकी अवधि 10 वर्ष तक की हो सकेगी दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी लिया होगा . धारा- 372 वेश्यावृत्ति आदि के प्रयोजन के लिए अप्राप्त को बेचना-जो कोई 18 वर्ष से कम आयु के किसी व्यक्ति को इस आशय से की ऐसा व्यक्ति किसी आयु में भी वेश्यावृत्ति या किसी व्यक्ति से अयुक्त संभोग करने के लिए या किसी विधि विरुद्ध और दुराचारी प्रयोजन के लिए काम में लाया या उपयोग किया जाए या यह संभव जानते हुए कि ऐसा व्यक्ति किसी आयु में भी ऐसे किसी प्रयोजन के लिए काम में लाया जाएगा या उपयोग किया जाएगा बेचेगा भाड़े पर देगा या अन्यथा व्ययनित करेगा वह दोनों में से किसी भांति के कारावास जिसकी अवधि 10 वर्ष तक की हो सकेगी दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा स्पष्टीकरण 1- जबकि 18 वर्ष से कम आयु की नारी किसी वेश्या को या किसी अन्य व्यक्ति को जो वेश्या ग्रह चलाता हो या उसका प्रबंध करता हो बेची जाए भाड़े पर दी जाए या अन्यथा व्ययनित की जाए तब इस प्रकार ऐसी नारी को व्ययनित करने वाले व्यक्ति के बारे में जब तक की प्रतिकूल साबित न कर दिया जाए अवधारणा की जाएगी कि उसने उसको इस आशय से व्ययनित किया है कि वह वेश्यावृत्ति के लिए उपयोग में लाई जाएगी स्पष्टीकरण (2)—- अयुक्त संभोग से इस धारा के प्रयोजन के लिए ऐसे व्यक्तियों में मिथुन अभिप्रेत है जो विवाह से संयुक्त नहीं है या ऐसे किसी संभोग या बंधन से संयुक्त नहीं है जो यद्यपि विवाह की coti में तो नहीं आता तथापि उस समुदाय की जिसके वे या आदि विभिन्न समुदाय के है तो ऐसे दोनों समुदाय की सभ्य विधि या रूडी द्वारा के बीच में विवाह सदृश्य संबंध ज्ञात किया जाता है.
SETION –373 वेश्यावृति आदि के प्रयोजन के लिए अप्राप्तवय को बेचना- जो कोई 18 वर्ष के कम आयु के किसी व्यक्ति को इस आशय से कि ऐसा व्यक्ति किसी
आयु में भी वेश्यावृति या किसी व्यक्ति से अयुक्त संभोग कर ने के लिए या किसी
विधिविरुद्ध दुराचारिक प्रयोजन के लिए काम में लाया या उपयोग किया जाए या यह
सम्भाव्य जानते हुए कि ऐसा व्यक्ति किसी आयु में भी ऐसे किसी प्रयोजन के लिए
काम में लाया जाएगा या उपयोग किया जाएगा, खरीदेगा, भाडे पर लेगा, या अन्यथा
उसका कब्जा अभिप्राप्त करेगा वह दोनो में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी
अवधि दस वर्ष की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय
होगा।
स्पष्टीकरण 1- अठारह वर्ष से कम आयु की नारी को खरीदने वाले भाडे पर लेने वाली या अन्यथा उसका कब्जा अभिप्राप्त करने वाली किसी वेश्या के या वेश्यागृह चलाने या उसका प्रबन्ध करने वाले किसी व्यक्ति के बारे में, जब तक कि तत्प्रतिकूल साबित न कर दिया जाए, यह उपधारणा की जाएगी कि ऐसी नारी का कब्जा उसने इस आशय से अभिप्राप्त किया है कि वह वेश्यावृति के प्रयोजनों के लिए उपयोग में लाई जाएगी।
स्पष्टीकरण 2-” अयुक्त सम्भोग का वही अर्थ है जो धारा 372 में है।
धारा 375 – बलात्संग-
जो पुरुष एतस्मिन्पथात् अपवादित दशा के सिवाय किसी स्त्री के साथ निम्नलिखित छह भाँति की परिस्थितियों में से किसी परिस्थिति में मैथुन करता है, वह पुरुष बलात्संग करता है, वह कहा जाता है:-
पहला- उस स्त्री की इच्छा के विरूद्ध ।
दूसरा- उस स्त्री की सम्मति के बिना ।
तीसरा- उस स्त्री की सम्मति से, जबकि उसकी सम्मति उसे या ऐसे किसी को हितबद्ध है, मृत्यु या उपहति के भय में डालकर अभिप्राप्त की गई है।
चौथा- उस स्त्री की सम्मति से, जबकि वह पुरूष यह जानता है कि वह उस स्त्री का पति नहीं है और उस स्त्री ने सम्मति इसलिए दी है कि वह विश्वास करती है, कि वह ऐसा पुरूष है जिससे वह विधिपूर्वक विवाहित है या विवाहित होने का
विश्वास करती है।
पाँचवा – उस स्त्री की सम्मति से, जबकि ऐसी सम्मति देने के समय वह विकृतचित या मतता के कारण या उस पुरूष द्वारा व्यक्तिगत रूप में या किसी अन्य व्यक्ति के माध्यम से कोई संज्ञा शून्यकारी या अस्वास्थ्यकर पदार्थ दिए जाने के कारण उस बात की, जिसके बारे में वह सम्मति देती है, प्रकृति और परिणामों को समझने में असमर्थ है।छठा उस स्त्री की सम्मति से या बिना सम्मति के, जबकि वह सोलह वर्ष से कम आयु की है।
बलात्संग के अपराध के लिए आवश्यक मैथुन गठित करने के लिए
प्रवेशन पर्याप्त है।
धारा 376 बलात्संग के लिए दण्ड-
(1) जो कोई उपधारा (2) द्वारा उपबधित मामलों के सिवाय बलात्संग करेगा वह दोनो में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु जो आजीवन तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
(2) जो कोई- –
(क) पुलिस अधिकारी होते हुए-
(i) उस पुलिस थाने की जिसमें ऐसा पुलिस अधिकारी
नियुक्त है. सीमाओं के भीतर या
(ii) किसी भी थाने के परिसर में या
(ii) ऐसे पुलिस अधिकारी की अभिरक्षा में या ऐसे पुलिस
अधिकारी के अधीनस्थ किसी पुलिस अधिकारी की अभिरक्षा में, किसी स्त्री से बलात्संग करेगा या
(बी) ऐसे लोक सेवक या ऐसे लोक सेवक की हिरासत में एक लोक सेवक होने के नाते
अधीनस्थ किसी लोक सेवक की अभिरक्षा में की किसी स्त्री से बलात्संग करेगा या (ग) केन्द्रीय या किसी राज्य सरकार द्वारा किसी क्षेत्र में अभिनियोजित सशस्त्र बलों का कोई सदस्य होते हुए, उस क्षेत्र में बलात्संग करेगा या
-(घ) तत्समय प्रवृत्त किसी विधि द्वारा या उसके अधीन स्थापित किसी जेल, प्रतिप्रेषण गृह या अभिरक्षा में अन्य स्थान के या स्त्रियों या बालकों की किसी संस्था के प्रबन्ध या कर्मचारीवृन्द में होते हुए, अपनी शासकीय स्थिति का लाभ उठाकर ऐसी जेल, प्रतिप्रेषण गृह, स्थान या संस्था के किसी निवासी से बलात्संग करेगा या
(ङ) किसी अस्पताल के प्रबन्ध या कर्मचारीवृन्द में होते हुए, अपनी शासकीय स्थिति का लाभ उठाकर उस अस्पताल में किसी स्त्री से बलात्संग करेगा या
(च) स्त्री का नातेदार, संरक्षक या अध्यापक अथवा उसके प्रति न्यास या प्राधिकारी की हैसियत में कोई व्यक्ति होते हुए, उस स्त्री से बलात्संग करेगा. या
(छ) सांप्रदायिक या पंथीय हिंसा के दौरान बलात्संग करेगा या
(ज) किसी स्त्री से यह जानते हुए कि वह गर्भवती है बलात्संग करेगा या
(ण) उस स्त्री से, जो सम्मति देने में असमर्थ है, बलात्संग करेगा:
(ट) किसी स्त्री पर नियंत्रण या प्रभाव रखने की स्थिति में होते हुए, उस स्त्री से बलात्संग करेगा. या
(ड) बलात्संग करते समय किसी स्त्री को गंभीर शारीरिक अपहाति
कारित करेगा या विकलांग बनाएगा या विदूपित करेगा या
उसके जीवन को संकटापन्न करेगाः या
(ढ) उसी स्त्री से बारबार बलात्संग करेगा..
वह कठोर कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष से कम नहीं होगी, किन्तु जो आजीवन कारावास हो सकेगी, उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास होगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
(झ) किसी स्त्री से, जब यह सोलह वर्ष से कम आयु की है,
बलात्संग करेगा तो ऐसे व्यक्ति कठिन कारावास जिसकी अवधि बीस वर्ष से कमनहीं होगी किन्तु आजीवन कारावास तक हो सकेगी। जिसका अभिप्राय उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास होगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा। स्पष्टीकरण इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए-
(क)
सशस्त्र बल से नौसैनिक, सैनिक और वायु सैनिक अभिप्रेत है और इसके अंतर्गत
तत्समय प्रवृत किसी विधि के अधीन गठित सशस्त्र बलों का, जिसमें ऐसे अर्धसैनिक बल और
कोई सहायक बल भी हैं, जो केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन है, कोई सदस्य
भी है
(ख)- अस्पताल से अस्पताल का अहाता अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत ऐसी किसी संस्था का अहाता है जो स्वास्थ का लाभ कर रहे व्यक्तियों को या चिकित्सीय देखरेख या पुनर्वास की अपेक्षा रखने वाले व्यक्तियों के प्रदेश और उपचार करने के लिए है.
(ग) पुलिस अधिकारी ” का वही अर्थ होगा जो पुलिस अधिनियम, 1861 (1861 का 5) के
अधीन पुलिस” पद में उसका है.
–
(घ) स्त्रियों या बालकों की संस्था से स्त्रियों और बालकों को ग्रहण करने और उसकी देखभाल करने के लिए स्थापित और अनुरक्षित कोई संस्था अभिप्रेत है चाहे उसका नाम अनाथालय हो या उपेक्षित स्त्रियों या बालकों के लिए गृह हो या विधवाओं के लिए गृह या किसी अन्य नाम से ज्ञात कोई संस्था हो।
धारा 376क ख:– बारह वर्ष से कम आयु की स्त्री बलात्संग करने वाला व्यक्ति को कठिन कारावास जिसकी अवधि बीस वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु आजीवन कारावास तक हो सकेगी। जिसका अभिप्राय उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास होगा और जुर्माना अथवा मृत्यु ।
धारा 376ध क:- सौलह वर्ष से कम आयु की स्त्री से सामुहिक बलात्संग करने पर वाले व्यक्ति
को कठिन आजीवन कारावास, जिसका अभिप्राय उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए
कारावास और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
धारा 376घ ख:- बारह वर्ष से कम आयु स्त्री से सामुहिक बलात्संग करने वाले व्यक्ति को कठिन आजीवन कारावास, जिसका अभिप्राय उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास और जुर्माना अथवा मृत्यु . SETION –376 (क)- पीडिता की मृत्यु या लगातार विकृतशील दशा कारित करने के लिए दण्ड-
जो कोई धारा 376 की उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन दंडनीय कोई अपराध करता है और ऐसे अपराध के दौरान ऐसी कोई क्षति पहुंचाता है जिससे स्त्री की मृत्यु कारित हो जाती है। या जिसके कारण उस स्त्री की दशा लगातार विकृतशील हो जाती है, वह ऐसी अवधि के कठोर कारावास से, जिसकी अवधि बीस वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, जिससे उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास अभिप्रेत होगा, या मृत्युदंड से दंडित किया जाएगा।
376 ख • पति द्वारा अपनी पत्नि के साथ पृथककरण के दौरान मैथुन-
जो कोई अपनी पत्नि के साथ, जो पृथकरण की किसी डिक्की के अधीन उससे पृथक रह रही हो, उसकी सम्मति के बिना मैथुन करेगा, यह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु जो सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
स्पष्टीकरण अभिप्रेत है। इस धारा में मैथुन से धारा 375 के खंड (क) से खंड (घ) में वर्णित कोई कृत्य
376 (ग )प्राधिकार में किसी व्यक्ति द्वारा मैथुन
जो कोई-
(क) प्राधिकार की किसी स्थिति या वैश्वासिक संबंध रखते हुए, या
(ख) कोई लोक सेवक होते हुए, या
(ग) तत्समय प्रवृत किसी विधि द्वारा या उसके अधीन स्थापित किसी जेल, प्रतिप्रेषण गृह या अभिरक्षा में अन्य स्थान का या स्त्रियों या बालकों की किसी संस्था का अधीक्षक या प्रबन्धक
होते हुए, या (घ) अस्पताल के प्रबंधतंत्र या किसी अस्पताल का कर्मचारिवृंद होते हुए.
ऐसी किसी स्त्री को, जो उसकी अभिरक्षा में है या उसके भारसाधक के अधीन है या परिसर में उपस्थित है, अपने साथ मैथुन करने हेतु जो बलात्संग के अपराध की कोटि में नहीं आता है. उत्प्रेरित या विलुब्ध करने के लिए ऐसी स्थिति या वैश्वासिक संबंध का दुरुपयोग करेगा, वह दोनो में से किसी भांति के कारावास से, जो पांच वर्ष से कम का नहीं होगा किन्तु जो दस वर्ष तक का हो सकेगा, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
स्पष्टीकरण 1 इस धारा में” मैथुन से धारा 375 के खंड (क) से खंड (घ) में वर्णित कोई कृत्य अभिप्रेत होगास्पष्टीकरण 2- इस धारा के प्रयोजनों के लिए, धारा 375 का स्पष्टीकरण 1 भी लागू होगा। स्पष्टीकरण 3- किसी जेल, प्रतिप्रेषण गृह या अभिरक्षा के अन्य स्थान या स्त्रियों या बालकों की किसी संस्था के संबंध में, अधीक्षक के अंतर्गत कोई ऐसा व्यक्ति है, जो जेल, प्रतिप्रेषण गृह, स्थान या संस्था में ऐसा कोई पद धारण करता है जिसके आधार पर वह उसके निवासियों पर किसी प्राधिकार या नियंत्रण का प्रयोग कर सकता है।
स्पष्टीकरण 4″ अस्पताल ” और स्त्रियों या बालकों की संस्था ” पदों का क्रमशः वही अर्थ होगा जी धारा 376 की उपधारा (2) के स्पष्टीकरण में उनका है।
376 (घ)- सामूहिक बलात्संग——
जहां किसी स्त्री से एक या अधिक व्यक्तियों द्वारा एक समूह गठित करके या आशय को अग्रसर करने में कार्य करते हुए बलात्संग किया जाता है, वहां उन व्यक्तियों में से प्रत्येक के बारे में यह समझा जाएगा कि उसने बलात्संग का अपराध किया है और वह ऐसी अवधि के कठोर कारावास से, जिसकी अवधि बीस वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, जिससे उन व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास अभिप्रेत होगा, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा। परन्तु ऐसा जुर्माना पीडिता के चिकित्सीय खर्चा को पूरा करने और पुनर्वास के लिए न्यायोचित और युक्तियुक्त होगा: परन्तु यह और कि इस धारा के अधीन अधिरोपित कोई जुर्माना पीडिता को किया
जाएगा।धारा- 493 – विविधपूर्ण विवाह का प्रवचना से विश्वास उत्प्रेरित करने वाले पुरुष द्वारा कारित सहवास ————————-
पुरूष, जो किसी स्त्री को, जो विधिपूर्वक उससे विवाहित न हो. प्रवचना से यह विश्वास कारित करेगा कि वह विधिपूर्वक उससे विवाहित है और इस विश्वास में उस स्त्री का अपने साथ सहवास या मैथुन कारित करेगा कि वह विधिपूर्वक उससे विवाहित है और इस विश्वास में उस स्त्री का अपने साथ सहवास या मैथुन कारित करेगा. यह दोनो में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
धारा- 494 पति या पत्नि के जीवनकाल में पुनः विवाह करना- जो कोई पति या पत्नि के जीवित होते हुए किसी ऐसी दशा में विवाह करेगा जिसमें ऐसा विवाह इस कारण शून्य है कि वह ऐसे पति या पत्नि के जीवनकाल में होता है. वह दोनो में से किसीशांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डतीय होगा।धारा- 496 – विविधपूर्ण विवाह के बिना कपटपूर्ण विवाह कर्म पूरा कर लेना–
जो कोई बेईमनी से या कपटपूर्वक आशय से विवाहित होने का कर्म यह जानते हुए पूरा करेगा कि तद्द्द्वारा वह विधिपूर्वक विवाहित नहीं हुआ है, वह दोनो में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
धारा 497 – जारकर्म-
जो कोई ऐसे व्यक्ति के साथ, जो कि किसी अन्य पुरुष की पत्नि है, और जिसका किसी अन्य पुरुष की पत्नि होना वह जानता है या विश्वास करने का कारण रखती है, उस पुरूष की सम्मति या मौनानुकूलता के बिना ऐसा मैथुन करेगा जो बलात्संग के अपराध की कोटि में नहीं आता, वह जारकर्म के अपराध का दोषी होगा, और दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा। ऐसे मामले में पत्नि दुष्प्रेरक के रूप में दण्डनीय नहीं होगी।
setion 498-विवाहित स्त्री को आपराधिक आशय से फुसला कर ले जाना, या ले जाना या विरूद्ध रखना–
जो कोई किसी स्त्री को, जो किसी अन्य पुरुष की पत्नि है, और जिसका अन्य पुरुष की पत्नि होना वह जानता है, या विश्वास करने का कारण रखता है, उस पुरुष के पास से या किसी ऐसे व्यक्ति के पास से जो उस पुरुष की ओर से उसकी देखरेख करता है. इस आशय से ले जाएगा, या फुसलाकर ले जाएगा कि वह किसी व्यक्ति के साथ अयुक्त सम्भोग करे या इस आशय से ऐसी किसी स्त्री को छिपाएगा या विरूद्ध करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
धारा- 498-क – किसी स्त्री के पति या पति के नातेदार द्वारा उसके प्रति क्रूरता करना- –
जो कोई, किसी स्त्री का पति या पति का नातेदार होते हुए ऐसी स्त्री के प्रति क्रूरता करेगा, वह कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
स्पष्टीकरण इस धारा के प्रयोजनों के लिए क्रूरता से निम्नलिखित अभिप्रेत है-(क)जानबूझकर किया गया कोई आचरण जो ऐसी प्रकृति का है जिससे उस स्त्री को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करने की या उस स्त्री के जीवन अग या स्वास्थ्य को चाहे( मानसिक या शारीरिक) गंभीर क्षति या खतरा कार्य करने की संभावना हो या (ख) – किसी स्त्री को उस दृष्टि से तंग करना कि उसको या उसके किसी नातेदार को संपत्ति अमूल्यवान प्रतिभूति कि कोई मांग पूरी करने के लिए प्रताड़ित किया जाए या किसी स्त्री को उस कारण तंग करना कि उसका कोई नातेदार ऐसी मांग पूरी करने में असफल रहा है. धारा- 509 —-शब्द ,अंग , विक्षेप या कार्य जो किसी स्त्री की लज्जा अनादर करने के लिए आशयित हो—– जो कोई स्त्री की लज्जा का अनादर करने के आशय से कोई शब्द कहेगा कोई ध्वनि या अंग विशेष करेगा या कोई वस्तु प्रदर्शित करेगा इस आशय से कि स्त्री द्वारा ऐसा ध्वनि या शब्द सुनी जाए या ऐसा अंग विक्षेप या वस्तु देखी जाए अथवा ऐसी स्त्री की एकांतका का अतिक्रमण करेगा वह सादा कारावास से इसकी यदि 3 वर्ष तक की हो सकेगी दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडित किया जाएगा . see pdf act below the post >>>>>>>>>>