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हिन्दू दत्तक एवं उत्तराधिकारी अधिनियम PDF

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हिन्दू दत्तक एवं उत्तराधिकारी अधिनियम PDF

  हिन्दू दत्तक एवं उत्तराधिकारी अधिनियम

समस्त हिन्दू, बौद्ध धर्मावलम्बियों सिख के लिए उक्त अधिनियम में हिन्दू दत्तक अर्थात गोद लेने एवं गोद के पश्चात् उनके उत्तराधिकारी के अधिकारों के बारे में प्रावधान किए गए हैं। साधारण भाषा में इनके प्रावधान निम्न प्रकार से है-

धारा (6)- इस धारा में यह बताया गया है कि कोई भी हिन्दू दत्तक ग्रहण इस अधिनिमय के प्रावधानों के अधीन ही किया जा सकेगा अन्यथा दत्तक ग्रहण शून्य होगा।

इस धारा में बताया गया है जो दत्तक दे रहा है ऐसे व्यक्ति अर्थात् माता-पिता की क्षमता व अधिकार और जो दत्तक ले रहा है उनके दत्तक लिये जाने के क्षमता व अधिकार इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत है अथवा नहीं। क्योंकि दत्तक लेने व देने वालो की क्षमता और अधिकार इस प्रावधान के नियमानुसार ने आवश्यक है।

धारा (7) अगर कोई दत्तक ग्रहण करना चाहता है, गोद लेना चाहता है तो उसका वयस्क होना आवश्यक है। यह पुरूष विकृतचित अथवा पागल नहीं होना चाहिए अर्थात गोद लेने वाला पुरूष स्वस्थचिन्त होना आवश्यक है और ऐसे पुरुष के पहले कोई जीवित बेटा व बेटी नहीं होनी चाहिए। साथ ही ऐसा पुरुष विवाहित है तो उसकी पत्नी की सहमति आवश्यक है। यदि एक से अधिक पत्नियाँ है तो सभी पत्नियों की सहमति आवश्यक है। अगर पत्नी हिन्दू नहीं रही हो अथवा विकरचित्त हो तो ऐसी सहमति की आवश्यकता नहीं है।

धारा (8)- इस धारा में एक महिला द्वारा दत्तक, गोद लेने के प्रावधान किये गये है। जिसके अनुसार जो स्त्री गोद लेना चाहती है वह वयस्क होनी चाहिए, विकचित्त अथवा पागल नहीं हो अर्थात स्वस्थ्यचित हो। साथ ही ऐसी स्त्री विवाहित है तो उसके पति की सहमति आवश्यक है परन्तु पति हिन्दू नहीं रहा हो और विकचित्त हो तो ऐसी सहमति की आवश्यकता नहीं रहती है।

धारा (9)- दत्तक कौन दे सकता है ?-

इस प्रावधान के अन्तर्गत यह बताया गया है कि बालक के माता पिता अथवा बालक के सरंक्षक के अलावा कोई व्यक्ति किसी बालक को गोद नहीं दे सकता है। माता-पिता की मृत्यु हो चुकी हो अथवा वह विकरचित्त हो तो सरंक्षक न्यायालय की अनुमति से ऐसा गोद दिया जा सकता है।

धारा (10)- किसे गोद दिया जा सकता है-

इस धारा में बताया गया है कि जिसे गोद दिया जा रहा है वह बालक हिन्दू होना चाहिए, उस बालक को पूर्व में अन्य किसी को गोद नहीं दिया जाना चाहिए. वह विवाहित नहीं हो, ऐसे बालक की उम्र 15 वर्ष से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। कुछ मामलों में रूढिगत मान्यताओं के आधार पर उम्र की समयावधि कम ज्यादा हो सकती है। ऐसा विशेष परिस्थितियों में होता है।

धारा ( 11 ) – इस धारा में अन्य शर्त बताई गई है जिनके आधार पर एक वैध दत्तक ग्रहण दिया जा सकता है। गोद लेने वाले पुरुष व महिला दोनों के पूर्व में कोई संतान लड़का / लडकी नहीं होनी चाहिए। अगर गोद लेने वाला पुरुष है और जिसको गोद लिया जा रहा है वह स्त्री है तो दोनों स्त्री / पुरुष के मध्य 21 वर्ष का अंतराल आवश्यक है। इसी प्रकार कोई स्त्री किसी पुरुष को गोद लेती है तो दोनो के मध्य 21 वर्ष की आयु का अंतराल आवश्यक है।

धारा ( 12 ) – गोद (दत्तक) लिये जाने के प्रभाव

इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत एक वैध दत्तक ग्रहण के पश्चात् गोद लिये बच्चे को गोद लिये जाने वाले परिवार में सम्पूर्ण अधिकार प्राप्त हो जाता है। गोद लिये जाने की तारीख से यह अधिकार गोद लिये बच्चे को प्राप्त होता है जो समस्त प्रकार के अधिकारों को प्राप्त करता है। अगर पूर्व में इसके नैसर्गिक (असल) माता-पिता द्वारा उसके नाम से कोई सम्पति की गई हो तो उस पर भी ऐसे दत्तक पुत्र का अधिकार रहता है।

धारा (13)- गोद लेने वाले माता-पिता के अधिकार-

इस धारा में यह बताया गया है कि जिन माता-पिता ने गोद लिया है उनके स्वयं सम्पति पर अधिकार पूर्व की भांति रहेंगे अर्थात् गोद लिये जाने के बाद अगर वो चाहे तो अपनी सम्पति को विल, वसीयत, गिफ्ट इत्यादि पूर्व की भांति कर सकते है।

धारा ( 15 ) – वैध गोद लिये जाने के बाद में वह रद्द (कैंसिल) नहीं होगा अर्थात एक

बार वैध गोद की प्रक्रिया कर ली गई है। तो वह रद्द नही होगी।

धारा ( 17 ) – इसमें यह बताया गया है कि इस अधिनिमय के तहत् किये जाने वाले वैध दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया में किसी प्रकार का लेनदेन नहीं होगा। दत्तक ग्रहण किये जाने मे रूपये, पैसों का लेनदेन दण्डनीय अपराध है।
इस प्रकार हिन्दू दत्तक अधिनियम के तहत् उपरोक्त प्रावधानों के अन्तर्गत किसी बालक को गोद लिया जा सकता है। हिन्दू के अलावा मुस्लिम, ईसाई, युहदी व अन्य धर्मो से सम्बन्धित गोद लिये जाने के लिये एक अन्य अधिनियम “संरक्षक और प्रतिपाल्य अधिनियम 1890” के अन्तर्गत गोद लिये जाने के प्रावधान किये गये है, इसके अलावा दत्तक ग्रहण नियम 2022 के अन्तर्गत भी गोद लिया जा सकता है। इन दोनों प्रावधानों/ कानूनों के बारे में इस blog में पृथक से बताया गया है। जिसका अवलोकन किया जा सकता है। दत्तक भी कई प्रकार के होते हैं, जैसे खुला दत्तक, अर्द्ध खुला दत्तक, बंद दत्तक, अंतर परिवार दत्तक अंतरराष्ट्रीय दत्तक, देशज दत्तक,आदि.                SEE PDF ACT BLOW THE POST—-

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