माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का रखरखाव और कल्याण अधिनियम 2007:- हमारे देश में संविधान के अनुच्छेद 41 में वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए प्रावधान बनाए गए हैं समाज में अपने बुजुर्ग माता-पिता की अनदेखी उन्हें वृद्ध आश्रम के भरोसे छोड़ देने की घटनाएं बढ़ती जा रही है ऐसे में बुजुर्ग माता-पिता व वरिष्ठ नागरिकों के जीविकोपार्जन एवं उनकी देखरेख व कल्याण की रक्षा करने के लिए संसद द्वारा उक्त कानून बनाया गया है इस अधिनियम के अंतर्गत माता पिता वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण चिकित्सा सुविधा कल्याण कल्याणकारी योजनाओं वृद्ध आश्रम की स्थापना से संबंधित विभिन्न उपयोगी प्रावधान का समायोजन किया गया है अधिनियम के अनुसार माता-पिता दादा दादी 60 वर्ष से अधिक आयु के नागरिक इस अधिनियम के अंतर्गत भरण पोषण प्राप्त करने के अधिकारी होते हैं इनके लिए उपखंड अधिकारी के समक्ष आवेदन किया जा सकता है निसंतान वरिष्ठ नागरिक भी इस अधिनियम के तहत आवेदन कर सकते हैं भरण पोषण का ऐसा आवेदन प्राप्त करने पर अधिकरण संबंधित पक्षकारों जिनमें आवेदन के रिश्तेदार उसके बच्चे शामिल हो सकते हैं को नोटिस जारी करेगा साक्ष्य के अवलोकन वह बहस के पश्चात अधिकरण अपना आदेश सुनाएगा जिसमें बा भरण पोषण के आदेश की पालना नहीं किए जाने पर दोषी व्यक्ति को 1 माह का कारावास और जुर्माना वसूल करने के लिए वारंट जारी करने का अधिकार प्राधिकरण को प्राप्त होता है अधिकरण के आदेश की अपील आदेश के 60 दिनों के भीतर अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष प्रस्तुत की जा सकेगी धारा 24 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति जो वरिष्ठ नागरिक की देखभाल या सुरक्षा कर रहा है वरिष्ठ नागरिक को पूर्णतया त्याग देने की आशय से किसी स्थान पर अकेला छोड़ देता है तो ऐसे व्यक्ति को 3 माह का कारावास ₹5000 का जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है इस अधिनियम में यह प्रावधान भी किए गए हैं कि राज्य सरकार प्रत्येक जिले में कम से कम एक ऐसे वृद्ध आश्रम की स्थापना करेगी जिसमें 150 वरिष्ठ नागरिकों के रहने की क्षमता हो साथ ही सरकारी अस्पतालों में वरिष्ठ नागरिकों की देखरेख व उनकी चिकित्सा सुविधा के लिए राज्य सरकार विशेष व्यवस्था करेगी SEE PFD ACT BELOW POST
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