हिंदू विवाह विधि के अनुसार विवाह विच्छेद( तलाक) का अधिकार:– सामान्य हिंदू धर्म व हिंदू विधि में विवाह को एक संस्कार माना जाता है इसमें विवाह विच्छेद तलाक को अधिक महत्व नहीं दिया गया है लेकिन फिर भी यदि किसी कारण से पति-पत्नी को विवाह विच्छेद करना हो तो हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के अनुसार कुछ प्रावधान व अधिकार दिए गए हैं जिसके अंतर्गत पति व पत्नी अपने विवाह विच्छेद के लिए न्यायालय में आवेदन कर सकते हैं एवं न्यायालय से विवाह विच्छेद की डिग्री प्राप्त कर सकते हैं वैसे तो न्यायालय ने अपने विभिन्न निर्णय में विवाह विच्छेद के आधार पर दी गई परिभाषा को समझाया है जैसे पति-पत्नी के शरीर का मालिक नहीं है ,पत्नी या पति पर या पति का पत्नी पर बार-बार शक करना ,एक दूसरे के चरित्र पर संदेह करना, भी विवाह विच्छेद का आधार बनता है जिसका न्यायालय ने अपने अलग-अलग निर्णय में विवेचन किया है हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के अंतर्गत कुल (9) आधार ऐसे हैं जिनके आधार पर पति या पत्नी दोनों विवाह विच्छेद तलाक हेतु आवेदन न्यायालय में कर सकते . (1) पति या पत्नी का किसी दूसरे व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाना (2) क्रूरता (शारीरिक व मानसिक) (3) परित्याग (2 वर्ष लगातार एक-दूसरे का परित्याग ) (4) धर्मांतरण (अलग धर्म अपना लेना) (5) मानसिक विकार( विकृति या पागल हो जाना ) (6) लाइलाज कुष्ठ रोग (7) संक्रामक गंभीर बीमारी (8) सांसारिक मामलों का परित्याग (9) 9 वर्ष से ज्यादा लगातार जिंदा होने की जानकारी ना होना इन आधारों पर पति या पत्नी दोनों विवाह विच्छेद तलाक हेतु न्यायालय में आवेदन कर सकते हैं हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 13 (1 )उक्त आधार दिए गए हैं. इसके अलावा चार अधिकार ऐसे हैं जो सिर्फ महिलाओं को ही प्राप्त है जिनके आधार पर महिला विवाह विच्छेद हेतु आवेदन कर सकती है (1) विवाह हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के लागू होने से पूर्व हुआ हो और पति ने पहली पत्नी के जीवित रहते दूसरी महिला से विवाह किया हो तो पहली पत्नी विवाह विच्छेद हेतु आवेदन कर सकती है। (2) पति बलात्कार गुदामैथुन या पशुगमन का दोषी हो । (3) विवाह 15 वर्ष की आयु से पूर्व हो चुका हो और वह स्त्री 18 वर्ष की आयु से पूर्व उस विवाह का निराकरण कर देती है। (4) भरण पोषण का आदेश हो जाने के 1 वर्ष बाद भी पति-पत्नी में सहवास प्रारंभ नहीं हुआ हो। इसके अलावा हिंदू विवाह अधिनियम 13(b) के अनुसार पारस्परिक सहमति से भी विवाह विच्छेद हेतु आवेदन किया जा सकता है ।ऊपर बताए (9) आधारों जो पति-पत्नी दोनों को प्राप्त है और चार आधार केवल महिलाओं को प्राप्त है इसके आधार पर महिला या पुरुष विवाह विच्छेद की मांग कर सकते हैं ।इन आधारों को न्यायालय में प्रमाणित करना पड़ता है इसमें लंबा समय भी लग सकता है लेकिन दोनों में आपसी सहमति है और दोनों आपसी सहमति से विवाह विच्छेद करना चाहते हैं तो उपरोक्त इन्हीं आधारों दोनों परस्पर सहमति से न्यायालय में धारा 13 (बी )के अंतर्गत आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं जिस पर न्यायालय पति पत्नी दोनों को 6 माह का समय देता है ताकि इनमें साथ रहने की सहमति बन सके 6 माह की अवधि के बाद भी अगर पति पत्नी साथ रहना नहीं चाहते तो न्यायालय विवाह विच्छेद की डिक्री जारी कर देता है कुछ विशेष परिस्थितियों में 6 माह से कम अवधि में भी न्यायालय से विवाह विच्छेद की अनुमति प्रदान करता है. SEE PDF ACT BLOW THE POST
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