NEW UPDATE— दिनांक 18. 3. 2023 को प्रस्तावित एडवोकेट राजस्थान एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल 2023 में कुछ संशोधन किए हैं जिसका नोटिफिकेशन जारी गया किया है जिसमें प्रमुख रुप से धारा 3 में संशोधन किया गया है जिसमें न्यायालय परिसर शब्द को हटाकर उसके स्थान पर डिस्चार्ज ऑफ ड्यूटी ऑफ द एडवोकेट मतलब एडवोकेट द्वारा अपने कर्तव्य के निर्वहन के दौरान शब्द जोड़ा गया है प्रकार धारा 9 को डिलीट कर दिया गया है धारा 11 में संशोधन करते हुए 3 साल की सजा के स्थान पर 2 साल की सजा रखने का प्रावधान किया है अब यह देखना है कि दिनांक 23.3.23को बिल किस प्रकार से पारित होता है. NEW UPDATE—–उपरोक्त बिल को दिनांक 15 मार्च 2023 को राजस्थान की विधानसभा में प्रस्तुत किया गया बिल के प्रारूप को देखकर वकील समुदाय में भारी असंतोष है वकील समुदाय द्वारा बिल में संशोधन की मांग की जा रही है। (16-3-23) राजस्थान एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल क्या है ? वर्ष 2021 में बार काउंसलिंग ऑफ इंडिया द्वारा 7 सदस्य कमेटी द्वारा मिलकर एक एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल का प्रारूप बनाया गया । यह अभी एडवोकेट एक्ट के लिए प्रारूप है जो बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा तैयार किया गया है। इसे कानूनी रूप तब मिलेगा जब भारत की संसद अथवा राज्य की विधान सभाओ द्वारा इसे विधिवत रूप से पारित कर लागू किया जाएगा अब संसद और राज्यों की विधानसभाओं पर निर्भर है। कि इस प्रारूप को वह कैसे व कितना लागू करें ? राजस्थान में भी एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल के लिए लंबे समय से संघर्ष किया जा रहा है और वकीलों के लंबे संघर्ष के बाद उनकी विजय अब दूर नहीं है। 15 मार्च 2023 को राजस्थान एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल राजस्थान की विधानसभा में रखा जाएगा और विधानसभा में विचार विमर्श के बाद संभावित रूप से 21 मार्च 2023 को उसे पारित कराया जाएगा विधानसभा से पारित होने के बाद यह राज्य के महामहिम राज्यपाल से स्वीकृति ली जाकर गजट नोटिफिकेशन द्वारा लागू करवाया जाएगा। राजस्थान एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल (ड्राफ्ट) प्रारूप व प्रमुख धाराएं निम्न प्रकार है ? धारा:– 3 में कोई भी व्यक्ति जो किसी एडवोकेट को वकालत व्यवसाय की ड्यूटी करते समय हमला, गंभीरचोट या अपराधिक बल का प्रयोग, आपराधिक धमकी कारित करेगा उसे धारा 3 में दंडनीय माना गया है । धारा 4:- एडवोकेट को पुलिस सहायता इस धारा के अंतर्गत आवश्यकता पड़ने पर एडवोकेट को पुलिस प्रोटेक्शन दिया जाएगा। धारा 5:- इस धारा में दंड का प्रावधान किए गए हैं ।जिसमें बताया गया है कि जो कोई धारा 3 के अंतर्गत कोई कार्य कर अपराध कारित करता है। तो उसे 3 साल तक की सजा और जुर्माना जो ₹25000 तक का होगा से दंडनीय किया जाएगा। साथ ही अगर धारा 3 के अंतर्गत किए गए अपराध में एडवोकेट को गंभीर उपहति होती है तो उसे अपराध के लिए 7 वर्ष तक के कारावास या ₹50000 तक का जुर्माना से दंडनीय होगा इस प्रकार धारा 3 के अंतर्गत अगर आपराधिक बल का प्रयोग एडवोकेट के साथ किया जाता है,तो उसे 2 वर्ष का कारावास व ₹20000 का जुर्माना से दंडित किया जाएगा, धारा 3 के अंतर्गत अपराधिक धमकी देने पर आरोपी को 2 वर्ष की सजा 20000 रुपए जुर्माने से दंडित किया जाएगा लेकिन अगर ऐसी धमकी एडवोकेट को जान से मारने गंभीर, चोट कारीत करने, संपत्ति को नष्ट करने, आग लगाने, की हो या ऐसी धमकी ऐसे किसी अपराध को करने की हो जो मृत्यु दंड आजीवन कारावास या 7 वर्ष तक के कारावास दंडनीय अपराध हो तो ऐसे अपराध की धमकी देने पर ऐसे आरोपी को 7 वर्ष तक की सजा व 20000 /-रुपए जुर्माना से दंडित किया जाएगा । धारा 6 :- इस धारा के अंतर्गत सभी किए गए अपराध सज्ञेय अपराध व अजमानतीय होंगे। धारा 7:- ऐसे अपराधों का शमन (राजीनामा) न्यायालय की अनुमति से पीड़ित द्वारा किया जा सकता है । धारा 8 :-इस अधिनियम में प्रकरण का विचारण धारा 5 की सपठित धारा (2) के अलावा प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होंगे। धारा 5 (2)का विचारण सेशन ट्रायल होगा धारा 9 :- इस अधिनियम की धारा 9 में बताया गया है। कि फैसला सुनाते समय न्यायाधीश पीड़ित एडवोकेट को कंपनसेशन (मुआवजा) भी दिलाएगा । धारा 10:- एडवोकेट को अभियोजन से राहत प्रदान की गई है अगर किसी एडवोकेट के विरुद्ध किसी कानून के तहत सज्ञेय अपराध को किए जाने की सूचना है। तो ऐसी सूचना बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सचिव को भिजवाई जाएगी जहां वकील रजिस्टर्ड है और वकील के विरुद्ध दर्ज मामलों में अनुसंधान पुलिस उप अधीक्षक स्तर से कम श्रेणी का नहीं कर सकेगा ।वकील के विरुद्ध किसी सज्ञेय अपराध की सूचना उसके लीगल प्रोफेसन कार्य को करने के दौरान करने की मिलती है। तो भी उसका अनुसंधान भी पुलिस उप अधीक्षक स्तर से कम के अधिकारी नहीं कर सकेगा। धारा 12:- इस धारा में यह प्रावधान भी किया गया है की अगर कोई एडवोकेट इस बिल के प्रावधानों का गलत इस्तेमाल करता है या किसी के विरुद्ध झूठी या मिथ्या रिपोर्ट करवाता है तो वह 3 वर्ष की सजा व ₹50000 जुर्माने से दंडनीय होगा। अर्थात इस बिल का दुरुपयोग वकीलों द्वारा नहीं किया जा सकता। नोट —अभी ये एक प्रारूप है इस पर विधानसभा में विचारविमर्श के बाद ज़ब ये पास होगा तब पता चलेगा की कौन कौन से प्रावधानों को इसमें शामिल किया गया है जब यह बिल विधानसभा से पास होकर और महामहिम राज्यपाल की अनुमति के बाद राजस्थान के गजट में प्रकाशित हो जाएगा तब उस पर एक अलग से ब्लॉक विस्तृत रूप से और आप लोगों के लिए बनाया जाएगा या इसी ब्लॉक को अपडेट कर दिया जायेगा. .
Related Posts
महिला क़ानून और अधिकार
महिला क़ानून और अधिकार https://www.amazon.in/dp/9358478705 महिलाओं को उनके प्रति संसद व राज्य […]
साइबर अपराधों के प्रकार
साइबर अपराधों के प्रकार भारत में साईबर अपराध के विभिन्न रूप (प्रकार) भारत में साइबर अपराध के मामलों में हाल के वर्षों में तेज़ी से बढ़ोतरी हुई है, खासतौर पर महिलाओं के खिलाफ। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, साइबर अपराध के कुल 65,893 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 […]
women empowerment