देश की केंद्र सरकार व राज्य सरकारों द्वारा संपूर्ण देश में लीगल एड क्लीनिक चलाये जा रहे है जिसे जिला विधिक सहायता केंद्र भी कहा जाता है और जिन्हें जिला विधिक प्राधिकरण द्वारा संचालित किया जाता है,की स्थापना की गई है. प्रत्येक व्यक्ति चाहे महिला हो अथवा पुरुष वह अपने प्रकरण के लिए ऐसे केंद्रों से निशुल्क कानूनी सहायता व कानूनी राय प्राप्त कर सकता है आर्थिक दृष्टि से कमजोर होने पर ऐसे केंद्रों द्वारा पीड़ित को राज्य सरकार की ओर से या केंद्र सरकार की ओर से सरकार के खर्चे पर निशुल्क एडवोकेट उपलब्ध करवाया जाता है जो पीड़िता की निशुल्क पैरवी करता है ऐसे केंद्रों पर महिलाओं के लिए अन्य महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं जिन्हें प्राप्त कर महिलाएं अपने अधिकारों का उपयोग कर सकती है देश के प्रत्येक राज्य में ऐसे विधिक प्राधिकरण केंद्र जिला मुख्यालय पर स्थापित है और कार्यरत हैं ऐसे केंद्रों पर मुकदमे से पूर्व आपसी समझौता वार्ता भी करवाई जाती है संबंधित पक्षों को साथ बिठाकर उनकी काउंसलिंग भी करवाई जाती है जिन से बिना मुकदमा किए आपसी समझौते से प्रकरण का निस्तारण हो सके. ——- विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्य ————- [ 1] निशुल्क विधिक सलाह एवं सहायता [2]विधिक सहायता [3]आकाशवाणी दूरदर्शन व कम्युनिटी रेडियो पर नियमित कानून की बात कार्यक्रम का प्रसारण करना [4]मोबाइल वैन के माध्यम से सचल लोक अदालत व विधिक जागरूकता अभियान चलाना [5 ]विधिक सहायता क्लीनिक [6] पीड़ित प्रतिकर स्कीम [7]मुकदमों के निस्तारण की वैकल्पिक व्यवस्था [8] वरिष्ठ नागरिकों ,बच्चों ,,श्रमिकों रोजगार यौन कर्मियों, बंदियों, मानसिक रोगियों, महिलाओं, आदिवासियों , कमजोर वर्ग के लिए बनाई गई जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में सहयोग करना [9] विधिक जागरूकता के साथ-साथ समाज के कमजोर वर्गों को लोक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए अभिनव योजना में का विधिक चेतना एवं लोक कल्याणकारी शिविर का आयोजन करना [10]दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 357 के अंतर्गत राज्य सरकारों द्वारा अपराधों के परिणाम स्वरूप हानि व क्षति से ग्रस्त हुए और पुनर्वास की अपेक्षा रखने वाले ऐसे पीड़ितों और उनके आश्रितों को प्रति कर भी उपलब्ध करवाया जाना
*********** प्रतिकर सारणी निम्न प्रकार से ***************** जीवन हानि (उपार्जन करने वाला सदस्य)के लिए ( ₹500000 अधिकतम सीमा) जीवन हानि (उपार्जन नहीं करने वाले सदस्य) के लिए(₹250000) किसी अंग या शरीर के की हानि जिसके परिणाम स्वरूप 80% से अधिक विकलांगता हो गई हो (उपार्जन करने वाले सदस्य) के लिए (₹500000 ) किसी अन्य शरीर के भाग की हानि जिसके परिणाम स्वरूप 80% से अधिक विक्रम विकलांगता हो गई हो( उपार्जन नहीं करने वाले सदस्य )के लिए (₹250000 ) किसी अन्य शरीर केभाग की हानि इसके परिणाम स्वरूप 40% से अधिक और 80% तक विकलांगता हो गई है (उपार्जन करने वाले सदस्य के लिए( ₹80000 } किसी अंग या शरीर की हानि जिसके परिणाम स्वरूप 40% से अधिक और 80% को विकलांगता हो गई है (उपार्जन नहीं करने वाले सदस्य )के लिए( ₹50000 ) किसी अंग या शरीर के की हानि जिसके परिणाम स्वरूप 40% तक विकलांगता हो गई है( ₹25000 ) अवयस्क के साथ बलात्कार( ₹500000) बलात्कार के लिए( ₹500000 ) पुनर्वास के लिए( ₹100000 ) मानव दुर्व्यवहार बाल दुरुपयोग और व्म जै व्यपहरण जैसे मामलों जिनमें महिलाओं और बाल पीड़ितों की गंभीर मानसिक पीड़ा का कारित करने वाली हानि या क्षति हुई हो (₹25000 ) बाल पीड़ितों को साधारण हानि या क्षति( ₹20000 ) अम्ल lएसिड हमले के पीड़ित के लिए( ₹300000) लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के अध्ययन अपराध के लिए प्रति कर राशि प्रवेशन लैंगिक हमला( ₹500000) गुरुतर प्रवेशन लैंगिक हमला (₹500000) लैंगिक हमला( ₹100000) गुरुतर लैंगिक( हमला ₹200000 ) अश्लील प्रयोजनों के लिए बालकों का उपयोग( ₹100000 ) अंतरिम सहायता राशि के रूप में निम्नलिखित वह भी देय होंगे दाह संस्कार के लिए( ₹10000 ) चिकित्सा खर्च के लिए( ₹25000 ) बालक की दिशा में अंतरिम सहायता प्रतिकृति अधिकतम सीमा का 50% वयस्क की दशा में अंतरिम सहायता प्रतिकर की अधिकतम सीमा का 25% राजस्थान पीड़ित प्रतिकर स्कीम 2011 की धारा (5) के अंतर्गत पीड़ित या उसके आश्रित द्वारा प्रतिकार के लिए आवेदन किया जा सकता है आवेदन के सत्यापन के पश्चात जिला विधिक प्राधिकरण या राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा ऐसे प्रतिकर राशि को 2 माह के भीतर प्रदान कर देता है या किया जाता है