HOMOSEX
विदेशों की भांति भारत में भी समलैंगिक विवाह का प्रचलन बढ़ रहा है यद्यपि हिंदू विवाह अधिनियम अथवा भारत के किसी भी क़ानून में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता प्रदान नहीं की गई है और ना ही भारतीय समाज में ऐसे विवाह को सामाजिक मान्यता प्रदान की गई है लेकिन विदेशों की देखा देखी के अंधानुकरण में कुछ लोग जो होश खो बैठे है वह हमारी गौरवशाली भारतीय प्राचीन सभ्यता को छोड़कर पाश्चात्य सभ्यता को अपनाने में लगे हैं लेकिन समलैंगिक विवाह विदेशों में भी सफल नहीं है जबकि अमेरिका जैसे बड़े पश्चिमी देशों में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता प्रदान की गई है फिर भी वहां समलैंगिक विवाह के कारण समाज में बिखराव की घटना बढ़ती जा रही है इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि ऐसे विवाहों को कानूनी मान्यता देने से समाज में कुछ बदलाव होगा क्योंकि अगर ऐसा होता तो अमेरिका रूस जैसे देशों में जो समलैंगिक विवाह को मान्यता प्राप्त है वहाँ ऐसी कानूनी मान्यता के बाद भी ऐसे विवाहों पर विवाद बढ़ते ही जा रहे है और समाज में असंतोष भड़क रहा हैसमाज में बदलाव आ रहा है पूरे विश्व में जो घटनाएं घटित होती है उनका असर भारतीय समाज पर भी पड़ता है.
अभी कुछ समय पहले सोशल मीडिया पर एक खबर चल रही थी कि न्यूजर्सी शहर के अमित और आदित्य दो पुरषों ने समलैंगिक विवाह किया है इन दोनों ने शादी से पूर्व प्री वेडिंग शूट किया घर में हल्दी बनाने की रस्म अदा की गई और प्रसिद्ध स्वामीनारायण मंदिर में इस पुरुष जोड़ी का धूम धाम से विवाह संपन्न हुआ ऐसे ही घटनाएं भारत में युवाओं को प्रभावित करती है यौन कुंठा और अपरिपक्व समझ पश्चिमी विलासिताओं को पसंद करने वाले कुछ युवा समलैंगिक गे विवाह होमोसेक्सुअल जैसे अप्राकृतिक शब्दों के माया जाल में उलझ जाते हैं और इस कारण से भारत में भी ऐसे संबंधों और ऐसे विवाहों को मान्यता प्रदान करने की मांग जोर-शोर से उठे लगी है लोग इस बारे में इसे लागू करने के लिए हमारे न्यायालयों विभिन्न याचिकाएं प्रस्तुत करने लगे है भारत में भी ऐसे संबंधों को मान्यता देने की आवाज जोर पकड़ने लगी है भारत में भारत में समलैंगिकता को मान्यता दिया जाना चाहिये है या नहीं? ऐसे विवाह को मान्यता दिया जाना चाहिए या नहीं?यह अलग प्रसंग है इसका उत्तर हमारे समाज की मान्यताओं ,सभ्यताओ के हिसाब से माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय से ही तय होगा अथवा संसद द्वारा ही इसका निराकरण हो सकता है.
फिलहाल कानून में समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं है लेकिन माननीय सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक निर्णय नवदीप सिंह जोहर बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया( 2018) में यह जरूर तय किया गया है कि अगर 18 वर्ष से अधिक व्यस्को द्वारा अपने आपसी सहमति से अगर अप्राकृतिक मैथुन किया जाता है तो वह धारा 377 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत अपराध की श्रेणी में नहीं आता है अर्थात दो व्यक्ति जो व्यस्क हैं और अपनी आपसी सहमति से अप्राकृतिक मैथुन करते हैं तो वह अपराध की श्रेणी में नहीं आता है.
समलैंगिकता(HOMOSEXUAL)
..समलैंगिकता क्या है ?अक्सर सोशल मीडिया पर यह शब्द काफी देखा जाता है जो अंग्रेजी शब्दLGBTIका एक समूह है जो समलैंगिकता से संबंधित अलग-अलग प्रकारों को बताता है LGBTI एक समूह है जिसके अंतर्गत विभिन्न समलैंगिक प्रकारों को बताया गया है लैसबियन LESBIAN यह महिला और महिला के बीच होता है एक महिला दूसरी महिला से आकर्षित होती है और दोनों एक दूसरे के साथ पति पत्नी की जैसे शारीरिक संबंध बनाते हैं ऐसी महिलाओं को लैसबियन कहाँ जाता है. Gay गे एक पुरुष दूसरे पुरुष के प्रति आकर्षित होता है दोनों पुरुष आपस मे शारीरिकl संबंध बनाते हैं व पति पत्नी के रूप में रहना पसंद करते हैं ऐसे पुरुषों को Gay गे कहा जाताहै.Bisexualइसमें एक पुरुष किसी दूसरे पुरुष और महिला दोनों की और आकर्षित होकर दोनों से से ही शारीरिक संबंध बनाना चाहता और पसंद करता है बाय सेक्सुअल कहा जाता है इसी प्रकार अगर कोई महिला किसी अन्य महिला से और किसी अन्य पुरुष दोनों के साथ शारीरिक संबंध बनाना चाहती है तो उसे भी बायसेक्सुअल कहाँ जाता है. TRANGENDARट्रांसजेंडर जिसे किन्नर हिजड़ा भी कहते हैं इसके अंतर्गत वे पुरुष और महिलाएं आते हैं जिनके जन्म से ही प्रकृति दोष के कारण जननांग आम पुरुष स्त्री की भांति विकसित नहीं होते हैं जिन्हें अक्सर लोग हिजड़ा किन्नर कहकर संबोधित करते हैं यह जन्मजात रोग है संबंधित पुरुष या स्त्री का उसमें कोई दोष नहीं होता है लेकिन शारीरिक बनावट के कारण उन्हें ट्रांसजेंडर कहा जाता है. NTERSEXइंटर सेक्स कुछ देशों में कुछ स्त्री पुरुषों की पैदाइशी शारीरिक बनावट ऐसी होती है जिसमें पुरुष का लिंग भी होता है और महिला की योनि भी होती है इसी प्रकार महिला के भी लिंग को योनि दोनों होते हैं इस इस प्रकार एक ही व्यक्ति में पुरुष व महिला दोनों के जननांग एक साथ पाए जाते हैं ऐसे स्त्री पुरुष महिला को इंटरसेक्स कहा जाता है भारत में समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं है ना ही इनके लिए किसी प्रकार का कोई कानून फिलहाल संसद या विधानसभामें बना है. लेकिन ट्रांसजेंडर से संबंधित विभिन्न विशेष प्रावधान भारत में जरूर किए गए हैं इसके लिए संसद में ट्रांसजेंडर अधिकारों का संरक्षण विधेयक 2019 पारित किया गया है .