NEW UODATE -20-4-23
सूरत कोर्ट ने राहुल गाँधी की स्टे की याचिका ख़ारिज की
सूरत कोर्ट ने जो सज़ा राहुल गाँधी को सुनाई थी उस सज़ा के आदेश पर रोक लगाने के लिए लगाईं गई उनकी याचिका पर कल यानि 20-4-23को कोर्ट ने खारिज कर दिया सूरत कोर्ट का ये पूरा फैसला निचे दिए लिंक मैं पढ़े
.
राहुल गांधी की संसद सदस्यता समाप्त 13अप्रैल 2019 को कर्नाटक की एक चुनावी सभा में श्री राहुल गांधी ने मोदी सरनेम के बारे में टिप्पणी की थी जिस पर सूरत के एक न्यायालय में मानहानि का मुकदमा चल रहा.था. दिनांक 23 मार्च 2023 को सूरत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने राहुल गांधी को दोषी करार दिया और 2 वर्ष की सजा तथा ₹15000 का जुर्माना का दंड सुनाया परंतु जमानत देते हुए उन्हें 30 दिन के भीतर अपील करने का अवसर प्रदान किया . दिनांक 24-3- 2023 को लोकसभा सचिवालय द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी कर राहुल गांधी की संसद सदस्यता समाप्त कर दी गई है अब वह लोकसभा के सांसद नहीं रहे हैं . नोटिफिकेशन में संविधान के अनुच्छेद 102 (1) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8 के अंतर्गत उन्हें संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया है . अब प्रश्न यह है कि राहुल गांधी के पास क्या कानूनी विकल्प उपलब्ध है? संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय अथवा अनुच्छेद 32 के तहत रिट के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय में जा सकते हैं साथ ही वे सूरत कोर्ट के फैसले की सजा के खिलाफ अपील भी कर सकते हैं सूरत कोर्ट के फैसले को यदि अपीलेट कोर्ट रद्द कर दें अथवा उसके क्रियान्वयन पर रोक लगा दे तो उन्हें बड़ी क़ानूनी राहत मिल सकती है. राहुल गांधी के लोकसभा सीट वायनाड की क्या स्थिति रहेगी ? चुनाव आयोग चाहे तो वहां पर उपचुनाव करवा सकता है क्योंकि लोकसभा चुनाव में अभी 6 माह का समय शेष है संविधान के अनुसार अगर लोकसभा चुनाव में 6 माह की अवधि से शेष होती है तो चुनाव करवाया जा सकता है . इससे पहले जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के अंतर्गत श्री लालू यादव ,रशीद मसूद, अशोक चंदेल, कुलदीप सेंगर, अब्दुल्लाह आजम, आजम खान इत्यादि कई प्रमुख राजनेताओं की संसद व विधानसभा कीmembershipरद्द हो चुकी है आज से 10 साल पहले 27 सितंबर 2013 को कॉन्ग्रेस की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने एक अध्यादेश की प्रति फाड़ दी थी वह अध्यादेश इसी कानून के अंतर्गत था दरअसल हुआ ये था कि सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई 2013 को एक ऐतिहासिक फैसले में जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 की धारा 8 (4)को असंवैधानिक घोषित कर दिया था यह धारा दोषी जनप्रतिनिधि को किसी भी कोर्ट में अपील लंबित रहने के दौरान पद पर रहने की छूट देती थी इसी प्रावधान को पलटने के लिए तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार द्वारा अध्यादेश लाया गया था जिसमें कहा था कि दोषी करार होने पर बावजूद किसी भी ऊपरी अदालत में अपील पेंडिंग हो या कानून की प्रक्रिया विचाराधीन हो तो सदस्यता रद्द नहीं की जा सकती तब उस अध्यादेश को श्री राहुल गांधी द्वारा बकवास करार देते हुऐ उसकी प्रति फाड़ दी गई थी और यह विषय काफी चर्चा में रहा था अगर वह अध्यादेश मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में पास पारित हो जाता हो जाता तो आज श्री राहुल गांधी को की सदस्यता रद्द नहीं होती क्योंकि उस अध्यादेश के अंतर्गत यह प्रावधान था कि अगर किसी जनप्रतिनिधि को सजा हुई है तो अगर वह अपील कर देता है तो अपील पेंडिंग रहने तक उसकी संसद या विधानसभा की सदस्यता रद्द नहीं की जा सकती लेकिन वह अध्यादेश लागू नहीं हो सका,राहुल गांधी की संसद सदस्यता समाप्त करने के कारण वह अध्यादेश अब फिर से चर्चा में है. see— THE REPRESENTATION OF THE PEOPLE ACT, 1951(PDF FILE)