भरण पोषण का अधिकार :- भारत में महिलाओं संतान व माता-पिता सभी के लिए भरण-पोषण के कानून विद्यमान हैं ।महिलाओं के लिए अलग-अलग कानून में भरण पोषण के प्रावधान दिए गए हैं जिनमें प्रमुख रूप से भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 24 वह 25 हिंदू दत्तक तथा भरण पोषण अधिनियम की धारा धारा घरेलू हिंसा की धारा 20 ,22 23 मैं यहां प्रावधान दिए गए हैं। प्रमुख रूप से धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत भरण पोषण के लिए महिलाएं आवेदन करती है 125 सीआरपीसी में बताया गया है। कि पर्याप्त साधनों वाले व्यक्ति द्वारा अपनी पत्नी का जो अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ है अपनी पत्नी के भरण पोषण करने की उपेक्षा या इनकार साबित होने पर न्यायालय पत्नी को एक निश्चित मासिक भत्ता जो न्यायालय उचित समझे संदाय करने का अधिकार दे सकता है। और ऐसा व्यक्ति जिसे न्यायालय ने आदेश दिया है ।वह न्यायालय के आदेश की पालना करने में असफल रहता है तो मजिस्ट्रेटले ऐसे प्रत्येक भत्ते की वसूली के लिए वारंट जारी कर सकता है तथा व्यक्ति को कारावास से दंडित कर सकता है भरण पोषण व वसूली की प्रक्रिया के प्रावधान विस्तृत रूप से भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 (1)(2)(3)(4)(5 )एवं धारा 126, 127, 128 में देखे जा सकते हैं अगर कोई स्त्री जो जारता (एडल्ट्री )की दशा में रह रही है अथवा जो पारस्परिक सहमति से पृथक रह रही है तो वह भरण पोषण प्राप्त करने की हकदार नहीं होगी माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भरण-पोषण के मामले में दिए गए एक महत्वपूर्ण निर्णय रजनीश बनाम नेहा 2020 क्रिमिनल अपील 730 में भरण पोषण से संबंधित सभी प्रावधानों को स्पष्ट किया गया है इस फैसले में 4 बिंदुओ की एक गाइडलाइन दी है ।जिसमें भरण पोषण कहां से प्राप्त किया जा सकता है ।भरण-पोषण कब से मिलेगा क्या क्या दस्तावेज न्यायालय में प्रस्तुत करने होंगे। भरण पोषण के वसूली किस प्रकार से होगी इन सब का स्पष्ट उल्लेख किया है भरण पोषण के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए इस निर्णय का अवलोकन किया जा सकता है।