बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 देश में आज भी बाल विवाह की कुप्रथा समाज के लिए अभिशाप है ऐसे में बालकों के संरक्षण का बाल और विवाह प्रथा को रोकने के लिए उक्त अधिनियम का निर्माण किया गया है जिसमें बताया गया है कि बालक से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसमें यदि वह पुरुष है तो 21 वर्ष की आयु पूरी नहीं की है यदि वह स्त्री है तो उसने 18 वर्ष की आयु पूरी नहीं की है इस अधिनियम की धारा 3 के अंतर्गत प्रत्येक बाल विवाह जो चाहे इस अधिनियम के प्रारंभ से पूर्व या पश्चात किया गया हो तो विवाह के बंधन में आने वाले ऐसे पक्षकार के जो विवाह के समय बालक था के विकल्प पर शून्यकरणीय होगा. धारा 6 के अंतर्गत बाल विवाह से उत्पन्न बालको धर्मजत्व के बारे में बताया गया है किसी बात के होते हुए धारा 3 के अधीन किसी अकृता की डिग्री द्वारा बातिल कर दिया गया है डिग्री किए जाने के पूर्व उत्पन्न या गर्भस्थ प्रत्येक बालक धर्मज संतान माना जाएगा. धारा 9 में बालक विवाह के लिए दंड का प्रावधान किया गया है. धारा 10 में विवाह में अनुष्ठान करने वाले के लिए दंड का प्रावधान किया गया है. धारा 11 में बाल विवाह में अनुष्ठान में शामिल होने वाले के लिए दंड का प्रावधान किया गया है. बाल विवाह को रोकने के लिए धारा 13 में न्यायालय को सूचना आवेदन परिवाद प्राप्त होने पर ऐसे विवाह को प्रतिषेध (रोकने) के लिए आदेश जारी करने का प्रावधान जारी किया गया है . ऐसे आदेश जारी होने के पश्चात आदेशों का उल्लंघन कर किए गए बाल विवाह का धारा 14 में शून्य होना बताया है इस अधिनियम के तहत अपराधों को संज्ञये और गैर जमानती बताया गया है अगर कहीं भी बाल विवाह संपन्न कराया जा रहा है तो उसकी सूचना पुलिस थाने उपखंड मजिस्ट्रेट या न्यायिक मजिस्ट्रेट कहीं पर भी दी जा सकती है न्यायालय ऐसी सूचना मिलने पर ऐसे बाल विवाह को रोकने के लिए संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी करता है न्यायालय के नोटिस के पश्चात भी अगर ऐसा विवाह संपन्न होता है तो उस विभाग के समस्त पक्षकारों विवाह संपन्न कराने वाले पंडित सहित सभी पर इस अधिनियम के तहत कार्रवाई होती है और ऐसा विवाह शून्य घोषित माना जाता है. SEE PDF ACT BLOW THE POST
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