प्रसूति प्रसुविधा अधिनियम 1961
मातृर लाभ कानून 1961 स्त्रियों के लिए बनाया गया एक महत्वपूर्ण कानून है। कामकाजी महिलाओं के प्रसव होने से पहले व प्रसव के बाद प्रसव के दौरान कामकाजी महिलाओं को उनके शरीर व स्वास्थ्य के प्रति आवश्यक कानूनी अधिकार यह अधिनियम दिलाता है। इसकी निम्न धाराएं महत्वपूर्ण है . SETION(4)- कोई भी नियोजक किसी स्त्री को उसके प्रसव (गर्भपात व गर्भ के चिकित्सकीय
समापन के दिन के अव्यवहित पश्चात्वर्ती 6 सप्ताह के दौरान किसी स्थापन में जानते हुए
नियोजित नहीं करेगा।
धारा 4 (2) कोई भी स्त्री अपने प्रसव (गर्भपात या गर्भ के चिकित्सकीय समापन) के दिन के अव्यवहित पश्चात्वर्ती 6 सप्ताह के दौरान किसी स्थापन में काम नहीं करेगी। धारा 4 (3)– किसी भी गर्भवती स्त्री से इस निर्मित इसके द्वारा प्रार्थना किये जाने पर धारा 4 में
विनिदिष्ट कालावधि के दौरान उसके नियोजक द्वारा ऐसा कोई काम ना कराने की उपेक्षा की जायेगी जो कठिन प्रकृति का हो या जिसमे दीर्घकाल तक खड़े रहना अपेक्षित हो या जिससे उसके गर्भ या भ्रूण के विकास में किसी प्रकार विघ्न पडना सम्भव हो या गर्भपात कारित होना या स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पडना सम्भव हो।
धारा 5(3)—- के अनुसार किसी स्त्री प्रसूति प्रसुविधा की हकदार की अधिकतम कालावधि 12 सप्ताह की होगी जिसमें 6 सप्ताह से अनधिक उसके प्रसव की प्रत्याशित तारीख से पूर्व होगी। धारा (8)— के अनुसार प्रसूति सुविधा के दौरान चिकित्सकीय बोनस भी प्राप्त करने का स्त्री को अधिकार होगा। धारा (9) के अन्तर्गत गर्भपात आदि की दशा में छुट्टी का प्रावधान बताया गया है, गर्भपात
या गर्म के चिकित्सकीय समापन की दशा में ऐसा सबूत पेश करने पर जैसा विहित किया जाये
यथास्थिति अपने गर्भपात या गर्भपात की चिकित्सकीय समापन के दिन के अव्यग्रहित पश्चात्वती
6 सप्ताह की कालावधि के लिए प्रसूति सुविधा की दर पर मजदूरी सहित छुट्टी की हकदार
होगी। धारा 9—– के अन्तर्गत शल्य चिकित्सा होने पर प्रसूति सुविधा के दौरान मजदूरी सहित
छुट्टी की हक प्रदान किया गया है।
धारा 10—- में गर्भावस्था, प्रसव, समय पूर्व शिशु का जन्म या गर्भपात से होने वाले रूग्णता के लिए मजदूरी सहित अवकाश का प्रावधान किया गया है। धारा 12 यह बताया गया है कि गर्भावस्था के कारण किसी स्त्री को उसके पद से पदच्युति बिना उसे सूचना दिये नहीं की जा सकती है न ही किसी प्रकार के बोनस से वंचित किया जा सकता है।
इस अधिनियम की प्रमुख बातें निम्न प्रकार है-
1- यह अधिनियम सम्पूर्ण भारत में लागू है।
2- प्रसव काल के दौरान महिला कर्मी को डी.ए. एच.आर.ए. बोनस सभी नकद मिलेंगे। अगर ऐसा फायदा या लाभ उसे नहीं मिलता है तो वह के नहीं मिलने की तारिख से 60 दिन के भीतर अपील कर सकती है।
3- अपने प्रसव की प्रत्याशित तिथि से 10 दिन पूर्व व अपने नियोक्ता को प्रसूति बारे में जानकारी दे सकती है और गर्भावस्था से 7 सप्ताह पूर्व नियोक्ता को प्रसव अवकाश प्रसव के बाद व पूर्व के बारे में सूचना दे सकती है।
अवकाश के 14- ऐसी महिला स्वयं अपने नियोक्ता से अपना वेतन व अन्य लाभ प्राप्त करने नहीं जा सकती तो वह अपना वेतन व अन्य लाभ प्राप्त करने के लिए किसी व्यक्ति को नियुक्त कर सकती है। 5- गर्भ के Miscarriage (दुर्वहन) होने के तुरन्त बाद महिला को 6 सप्ताह का अवकाश दिया जायेगा।
6- गर्भावस्था के अलावा कोई बीमारी या उससे सम्बन्धित या किसी अन्य कारण 1 माह के वेतन सहित एक माह का अतिरिक्त अवकाश के रूप में दिया जा सकेगा। 7- इसके अलावा प्रसव के बाद महिला के काम पर आने पर बालक फीडिंग (स्तनपान) के लिए पांच नर्सिंग ब्रेक दिये जायेंगे।
8- वर्ष 2017 के संशोधन के बाद अब प्रसूति अवकाश 12 सप्ताह के स्थान पर 26 सप्ताह का मिलेगा। प्रसव से पूर्व 8 सप्ताह प्रसव पश्चात 18 सप्ताह इस प्रकार कुल 26 सप्ताह प्रसूति अवकाश महिला को मिलेगा लेकिन यह 26 सप्ताह का अवकाश तीसरी संतान उत्पन्न करने पर तो उसे 12 सप्ताह का अवकाश
नहीं प्राप्त होगा। 9 अगर कोई महिला 3 माह के बच्चे को गोद लेती है
मिलेगा।
10- कोई भी महिला अपने नियोक्ता और स्वयं की आपसी सहमति के वर्क एट होम के माध्यम से भी कार्य कर सकती है। 11- इस अधिनियम के प्रावधानों के उल्लघंन करने पर नियोक्ता को तीन माह से लेकर 1 वर्ष तक सजा व जुर्माने से दण्डित किया जा सकेगा।
इस अधिनियम के प्रावधान प्रत्येक उद्योग, फैक्ट्री, माइन्स इत्यादि पर लागू होंगे, जहां 10
से अधिक कर्मचारी कार्य करते है। राज्य सरकार व केन्द्र सरकार के उपक्रमों में भी यह
प्रावधान लागू है। SEE PDF FILE BELOW POST