पुराने क़ानून खत्म
दिनांक 21.12.2023 को राज्यसभा में भारत के तीनों ‘क्रिमिनल लॉ बिल’ भारतीय न्याय संहिता 2023 ,भारतीय भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य संहिता 2023 बिल संसद की में पास हो गए हैं राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के पश्चात यह तीनों बिल अस्तित्व में आएंगे . .भारतीय दंड संहिता, भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम अब खत्म:——— 11 अगस्त 2023 को लोकसभा में एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया जिसमें 163 साल पुराने अंग्रेजों के जमाने के कानून को बदलने के लिए एक विधेयक पेश किया गया कानून भी ऐसे है जो भारत के सबसे महत्वपूर्ण आम कानून है जिससे पूरी न्यायपालिका, कार्यपालिका, पुलिस प्रशासन जुड़ा हुआ है भारतीय दंड संहिता(I.P.C), भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (C.R.P.C ) एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम(Evidence act )ये तीनों ऐसे कानून है जिसके आधार पर ही वर्षों से आज तक वर्तमान में न्यायपालिका,कार्यपालिका, पुलिस प्रशासन ,द्वारा कार्य किया जा रहा है भारतीय दंड संहिता 1860 का कानून है भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता 1973 का कानून है व भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 का कानून है इन कानूनो के माध्यम से ही आजादी से लेकर अब तक सारी कानूनी व्यवस्थाएं चल रही है अंग्रेजों के जमाने से इन कानुनों में कई बार समय अनुसार अनेको बार संशोधन किए गए हैं परंतु इन्हे पूरा ही समाप्त कर नये कानून स्थापित किए जाएंगे??यह शायद किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी?? परंतु अपने चौंकाने वाले ऐतिहासिक व साहसिक फैसलो के लिए विख्यात भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी व उनकी सरकार द्वारा यह ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है .
नई भारतीय दंड संहिता, भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम.
अब भारतीय दंड संहिता 1860 का नाम बदलकर भारतीय न्याय संहिता 2023* किया है इस नए अधिनियम में पुराने अधिनियम में वर्णित कुल,धाराएं 511 को बदलकर अब कुल 356 धाराये ही रखी गई है इस संहिता में 175 बदलाव किए गए हैं एवं 8 नई धाराएं जोड़ी गई है और 22 धाराओं को निरस्त किया गया है इसी प्रकार दंड प्रक्रिया संहिता 1973 के स्थान पर नया अधिनियम भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 होगा इस संहिता में पूर्व में कुल 484 धाराएं थी अब नयी संहिता में कुल 535 धाराएं हैं इसमें 9 नई धाराएं जोड़ी गई है एवं 9 धाराएं निरस्त की गई है साथ ही 160 बदलाव किए गए हैं इस प्रकार भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 के स्थान पर अब नए अधिनियम का नाम भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 होगा ।पूर्व के अधिनियम मै कुल 167 धाराएं थी उसके स्थान पर नई संहिता में 170 धाराएं होगी तथा 23 धाराओं में बदलाव किए गए हैं 1नई धारा जोड़ी गई है इसमे 5 धाराओं को निरस्त किया गया है इस प्रकार तीनों अधिनियमों को मिलाकर करीब 313 बड़े बदलाव किए गए हैं यह विधेयक महामहीम राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए जाएगा एवं महामहिम राष्ट्रपति के मंजूरी के बाद यह तीनों नए अधिनियम लागू होंगे अर्थात अस्तित्व में आएंगे क़ानून के जानकरो के अनुसार इनके लागू होने में अभी कुछ समय लग सकता है.इन तीनों अधिनियमों के लागू होने के पश्चात एक बहुत बड़ा परिवर्तन देश की कानून व्यवस्था में आएगा जिनमे न्यायाधीशों ,वकीलों, कानून के छात्रों ,आम जनता, पुलिस, सभी को नए कानून नए सिरे से पढ़ने व समझने होंगे,क्योंकि आजादी से लेकर अब तक हम सभी पुराने अधिनियमों के आदी हो चुके हैं कानून के नए विद्यार्थी जिन्होंने हाल ही में कानून की पढ़ाई पूरी की है उन्हें अब नए सिरे से पढ़ना पड़ेगा इन तीनों नये अधिनियमों के लागू होने के बाद एक लंबे समय तक इनको समझने व सामान्य रूप से लागू किए जाने में एक लंबा समय लगेगा इसके लिए हम सभी को सभी से इसकी तैयारी शुरू कर देनी चाहिए . *नई भारतीय न्याय संहिता 2023 और पुरानी भारतीय दंड संहिता 1860 के महत्वपूर्ण अंतर*———– पुरानी भारतीय दंड संहिता 1860 में हत्या की धारा 302 के अंतर्गत आती थी अब नई संहिता के अंतर्गत हत्या का अपराध करने पर धारा 99 व धारा 101 में दंडनीय होगा वैसे ही धोखाधड़ी का अपराध पहले आईपीसी की धारा 420 के अंतर्गत आता था अब नई संहिता के अनुसार धारा 316 के अंतर्गत आएगा , भीड़भाड व हंगामा करने की धारा 144 हुआ करती थी अब यह अपराध नई संहिता के अनुसार 187 मैं वर्णित किया गया है भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध करना व प्रयत्न करना पूर्व में धारा 121 आईपीसी में थी नई संहिता अनुसार अब धारा 145 में होगी….. पहले मानहानि 499 में था अब नई संहिता अनुसार ये अपराध धारा 354 मैं वर्णित किया गया है पुरानी भारतीय दंड संहिता के अनुसार बलात्कार का अपराध धारा 376 में था अब नई संहिता के अनुसार यह 63 के अंतर्गत दंडनीय है गैंगरेप का अपराध पूर्व में 376 (घ) मे था अब नई संहिता अनुसार धारा 65 में दंडनीय है इसी प्रकार राजद्रोह पूर्व में 124 (क) में वर्णित था जो अब धारा 150 के अंतर्गत होगा . *धारा 69*:— कोई शख्स अपना नाम छुपाकर अथवा नाम बदलकर महिला को धोखा देने के आशय से उसके साथ यौन संबंध बनाता है तो वह 10 साल के कारावास से दंडनीय होगा इस प्रकार किसी महिला के साथ जबरदस्ती यौन संबंध बनाने या बलात्कार करने को जुल्म धारा 63 में रखा गया है.
नई भारतीय दंड संहिता, भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम.
साथ ही ऐसे पुराने शब्दों को जिसे गुलामी की निशानी के तौर पर देखा जाता है जैसे पार्लियामेंट, यूनाइटेड किंगडम ,प्रोविंशियल एक्ट नोटिफिकेशन बाय द क्रॉउन, रिप्रेजेंटेटिव ,लंदन गैजेट, ज्यूरी, बेलेस्टर, लाहौर गवर्नमेंट, इत्यादि शब्दों को संशोधित किया गया है नए कानून के मुताबिक मृत्यु दंड की सजा को अधिक से अधिक आजीवन कारावास की सजा में बदला जा सकता है इसी प्रकार सजा माफी के तहत आजीवन कारावास को 7 साल के कारावास में तथा 7 वर्ष के कारावास को 3 वर्ष के कारावास में बदला जा सकता है नए कानून के तहत छोटे-मोटे मामलों में समरी ट्रायल को अनिवार्य बनाया गया है इन मामलों में 3 वर्ष तक की सजा है उनकी ट्रायल समरी ट्रायल से हो सकेगी ऐसी व्यवस्था की गई है जिसके तहत नए कानून में आधुनिक तकनीक के हिसाब से भारतीय साक्ष्य अधिनियम में सारे प्रावधान किए गए हैं दस्तावेजों की परिभाषा में अब इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड को शामिल किया गया है ईमेल, सर्वर लॉक्स लॉगस, कंप्यूटर पर मौजूद दस्तावेज़ को स्वीकार किया गया है स्मार्टफोन या लैपटॉप के मैसेजेस को भी अब दस्तावेज माना जाएगा साथ ही वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी कोभी अब आवश्यक दस्तावेज माना जा जायेगा कुल मिलाकर डिजिटल डिवाइस पर उपलब्ध मेल ,मैसेजेस ,अब दस्तावेज माने जाएंगे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भेजे गए सम्मन विधिवत रूप से प्रेषित संबंध माना जाएगा साथ प्रथम सूचना रिपोर्ट(FIR )से केस डायरी, केस डायरी से चार्ज शीट, और निर्णय इत्यादि सभी को डिजिटाइज किया जाएगा साथ ही देश के पुलिस स्टेशनो में पड़ी बड़ी संख्या में केस संपत्तियो के त्वरित निपटारे पर फोकस किया गया है इसके अलावा एविडेंस प्रोटक्शन स्कीम तैयार करने और उसे नोटिफाई करने को लेकर भी प्रावधान काफी महत्वपूर्ण है फॉरेंसिक सुधार पर खास विशेष जोर दिया गया है इसके लिए सभी राज्यों में 5 वर्ष के भीतर जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने का प्रावधान किया गया है सर्च और जब्ती की कार्यवाही में वीडियो रिकॉर्डिंग को अनिवार्य गया है सरकारी अधिकारियों या पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध ट्रायल को लेकर नए कानून में खास प्रावधान किया गया है अब ऐसे मामलों में सरकार को 120 दिनों के भीतर अभियोजन स्वीकृति पर फैसला करना होगा अगर 120 दिनों में अनुमति पर फैसला सरकार नहीं करती है तो इस डीम्ड अनुमति मानकर ट्रायल शुरू कर दिया जाएगा नए कानून में मॉब लिंचिंग व नाबालिक से रेप के मामले में मृत्यु दंड की सजा का प्रावधान किया गया है फरार अभियुक्तों पर भी उनकी गैर मौजूदगी में मुकदमा चलेगा यह प्रावधान भी किया गया है. भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 में प्रमुख ध्यान इस बात पर दिया गया है कि इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य को साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जावे डीएनए, मेडिकल राय, समस्त F.S.L राय पर विशेष ध्यान दिया गया है इस प्रकार भारतीय न्याय संहिता 2023 में आतंकवाद अलगाववाद मॉब लिंचिंग महिलाओं के प्रति अपराध व पुलिस द्वारा चार्ज शीट 180 दिन में प्रस्तुत किया जाना इत्यादि विषय पर ध्यान दिया गया है *धारा 41( ए)* :—-के प्रावधानों में पुलिस उप अधीक्षक से कम स्तर के अधिकारियों की पूर्वानुमति एवं मंजूरी के बिना किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जा सकेगा अगर पुलिस कोई मुकदमा वापस लेती है तो पहले पीड़ित पक्ष से परामर्श किया जाएगा ताकि उसके हितों को नुकसान ना हो। ईमेल, एसएमएस, व्हाट्सएप, इत्यादि सोशल मीडिया पर किए गए मैसेज के आधार पर भी प्रसंज्ञान लिए जा सकेंगे .एक बार यह फिर बता दे की कानून में बदलाव हुआ है पर कानून की आत्मा वही है सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब यह कानून हम भारतीयों के कानून कहलाएंगे अंग्रेजों के बने हुए कानून अब समाप्त होंगे परन्तु अब सबसे बड़ी चुनौती यह है की इन नये कानूनों के नये प्रावधानो को कैसे लागु करवाया जाये यह है.. क्योंकि लम्बे समय से हम लोग इन पुराने कानूनों के हिसाब से काम करते आ रहे है और अब नये क़ानून इनकी नई धाराएं इन को समझने और अपनाने में कुछ समय तो लगेगा भारत के सभी कोर्ट चाहे वह सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट, या अधीनस्थ कोर्ट हो सभी के नियम कायदे, दस्तावेज, आवेदपत्र, सम्मन, वारंट, अनुसूचिया, कानूनी किताबें सभी पुराने क़ानूनो के हिसाब से चल रही है परन्तु अब ये सब नये सिरे से नये कानूनों के हिसाब से बनेगी इसलिए इन सब में अभी काफ़ी समय लगेगा. कोर्ट, पुलिस, वकील, प्रसाशन, सरकार सभी के लिए ये एक चुनौती भरा काम होगा. क़ानून के छात्रों के लिए तो अब बहुत बड़ी समस्या आ गई है कि वे कोन से क़ानून पढ़े??? जो अभी पढ़ाये जा रहे है वह या जो अब नये कानून आये है वह?? परीक्षाओं में दोनों आएंगे या कोई एक?? क्या करे क्या ना करे?? आम आदमी के लिए भी समस्या ये आएगी कि कोई अपराध हुआ है तो कोन सी धारा लगेगी??? सब यहीँ जानते समझते है पहले की हत्या के लिए धारा 302IPC लगती थी.. बलात्कार के लिए धारा 376IPC लगती थी पर अब सब अलग है… और ये हर अपराध के लिए अलग अलग है अब हम IPC. CRPC.. EVIDENCE ACT भी नहीं बोल सकते अब हमें भारतीय न्याय संहिता 2023 ,भारतीय भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य संहिता 2023 याद रखनी होंगी. चलिए देखते है क्या होता है जमीन पर कब तक ये कानून आते है कैसे लागु होते है.. कैसे आम जनता इन्हे समझ पाती है यह सभी अभी भविष्य के गर्भ में है.
NEW IPC—CRPC—-EVIDENCE ACT PDF FILE