आज दिनांक 21.12.2023 को राज्यसभा में भारत के तीनों ‘क्रिमिनल लॉ बिल’ भारतीय न्याय संहिता 2023 ,भारतीय भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य संहिता 2023 बिल संसद की राज्यसभा में पास हो गए हैं राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के पश्चात यह तीनों बिल अस्तित्व में आएंगे जैसा कि हमने पहले भी बताया है कि यह सभी बिल राष्ट्रपति द्वारा पारित होने के पश्चात ही कानून बनेंगे तीनों अधिनियम के बारे में पूर्व में भी हमारे हिंदी में कानून के ब्लॉग में तीनों नए कानून के बारे में जानकारी दी गई है आप चाहे तो हमारे इस ब्लॉग’ हिंदी में कानून’ के पूर्व में प्रकाशित आर्टिकल्स में देख सकते हैं,जिनसे आपको इन तीनों कानून आईपीसी सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट में जो के बदले जो नए कानून बने हैं उसके बारे में जानकारी प्राप्त हो जाएगी .
नई भारतीय न्याय संहिता 2023 में कुल 356 धारा रखी गई है पुरानी भारतीय दंड संहिता (IPC) में कुल 511 धाराए थी नई भारतीय न्याय संहिता 2023 में पुरानी संहिता के हिसाब से 173 बदलाव किए गए हैं पुरानी 22 धाराओं को निरस्त किया गया है इस प्रकार 356 धाराये इस संहिता में रखी गई है नई संहिता के उपबंधों के अधीन अध्याय(2) की धारा 4 में दंडो के विषय में मृत्युदंड, आजीवन, कारावास ,कारावास ( कठोर व साधारण) संपत्ति का संप्रहण, जुर्माना और सामुदायिक सेवा को दंड के रूप में रखा गया है आपराधिक षड्यंत्र के विषय में पूर्व में(IPC में धारा 120 (क) मे परिभाषा 120 (ख) में इसका दंड बताया गया था) इस संदर्भ में अब नई संहिता में धारा 61 व धारा 62 में प्रावधान किए गए हैं नई संहिता 2023 के अध्याय (5) में स्त्री व बालकों के विरुद्ध होने वाले अपराधों के विषय में प्रावधान किए गए हैं इसमें धारा 63 में समस्त यौन अपराधों यथा बलात्कार, मुखमैथुन, गुदामैथुन,इत्यादि के बारे में बताया गया है इसके अलावा धारा 64 में बलात्कार का दंड ,धारा 65 में सामूहिक बलात्कार के लिए दंड, धारा 66 में पीड़िता की मृत्यु या लगातार विकृतचित दशा में बलात्कार करने का दंड बताया गया है, धारा 67 पृथक्करण के दौरान पति द्वारा पत्नी के साथ मैथुन के लिए दंड, धारा 68 में प्राधिकार में किसी व्यक्ति द्वारा मैथुन किए जाने का दंड, धारा 69 प्रवचनापूर्वक साधनों द्वारा नियोजक द्वारा मैथुन, धारा 70 में सामूहिक बलात्कार, धारा 71 में पुनरावृत्ति के लिए दंड,, धारा 72 में कतिपय इस प्रकार के अपराधों में पीड़ित व्यक्ति की पहचान के प्रघटिकरण के बारे में प्रावधान किए गए हैं पूर्व में ( भारतीय दंड संहिता में धारा 376 व 377 में ये बताए गए थे )नई संहिता अनुसार यह अध्याय 16 के अंतर्गत वर्णित किए गए हैं इसी प्रकार पूर्व की आईपीसी में अध्याय (16)के अंतर्गत आपराधिक बल व महिला पर हमले की विषय में बताया गया है जिसमें( धारा 354, 354 क ,ख ग ,घ प्रमुख धाराएं थी) नई संहिता 2023 में स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से हमला, लज्जा भंग को धारा 73 में बताया गया है लैंगिक उत्पीड़न उसके लिए दंड धारा 74 में बताया गया है स्त्री को विवशत्र करने के आशय से आपराधिक बल व हमला धारा 75 में बताया गया है दृश्यरतिकता के आरोप को धारा 76 में बताया गया है स्त्री का पीछा करना धारा 77, स्त्री की लज्जा को शब्द व अंग विक्षेप धारा 78 में बताया गया है.
पुरानी भारतीय दंड संहिता में विवाह संबंधी अपराधों को अध्याय 20 में बताया गया था जिसमें( धारा 494 , 498, 498 (A),406, इत्यादि महत्वपूर्ण धारा थी )नई भारतीय न्याय संहिता 2023 में विवाह संबंधी अपराधों के लिए दहेज मृत्यु पूर्व (धारा 304 (B)) के स्थान पर नई धारा 79 में प्रावधान किया गया है विधिपूर्व प्रवचना के लिए धारा 80,,, पति या पत्नी के जीवन काल में पुनर्विवाह करना (धारा 494 की जगह) नई संहिता में धारा 81 का प्रावधान किया गया है विधि पूर्ण विवाह कपट पूर्वक विवाह करना धारा 82 में बताया गया है इसी प्रकार विवाहित स्त्री को बहला फुसला कर ले जाना धारा 83 में बताया गया है पूर्व भारतीय दंड संहिता की महत्वपूर्ण धारा ( जो दहेज उत्पीड़न से संबंधित(498A)) थी.के स्थान पर अब नई न्याय संहिता 2023 में धारा 84 में प्रावधान किए गए हैं इसी प्रकार विवाह आदि के लिए किसी स्त्री को व्यपहरण या अपहरण धारा 85 में बताया है गर्भपात करने के विषय में नई संहिता अनुसार धारा 86 से लेकर 90 तक प्रावधान किए गए हैं अपराध संहिता का एक महत्वपूर्ण अध्याय जो पूर्व भारतीय दंड संहिता में अध्याय 16 था जिसमें( आपराधिक मानव, हत्या, हत्या का प्रयास, सिद्धदोष द्वारा हत्या इत्यादि महत्वपूर्ण धाराएँ थी) उसमे अब नई भारतीय न्याय संहिता 2023 के अध्याय 6 में वर्णित किया गया हैं (आपराधिक मानववध 299 )के स्थान पर नई संहिता में धारा 98,,( हत्या धारा 300) के स्थान पर नई संहिता में धारा 99 हत्या के लिए दंड(,धारा 302) के स्थान पर नई संहिता में धारा 101,, जिस व्यक्ति की मृत्यु का आशय था उसके भिन्न व्यक्ति की हत्या करना या मृत्यु कारीत करने का आपराधिक मानववध पूर्व( धारा 301 )अब नई संहिता अनुसार धारा 100 इसी प्रकार आजीवन सिद्ध दोष द्वारा हत्या पूर्व (धारा 303 )नई धारा 102, हत्या की कोटी में न आने वाले अपराधिक मानव वध पूर्व की दंड संहिता में (धारा 304 )नई संहिता अनुसार 103, उपेक्षा द्वारा मृत्यु कार्य करना (धारा 304(A) )की जगह नई संहिता अनुसार धारा 104, शिशु या मानसिक रूप से रुग्णवर्ती की आत्महत्या का दुष्प्रेरण (धारा 305) नई धारा 105 आत्महत्या का दुष्प्रेरण( धारा 306) नई संहिता अनुसार 106,, हत्या का प्रयास (307 )नई न्याय संहिता 2023 अनुसार धारा 107 आपराधिक मानव वध का प्रयास (धारा 308 )नई संहिता अनुसार धारा 108, इसके अलावा धारा 109 में संगठित अपराध को बताया गया है जिसके अंतर्गत व्यक्तियों के समूह द्वारा हिंसा ,हिंसा की धमकी,अपराधिक अभित्रास, उत्पीड़न, भ्रष्टाचार, अपहरण, डकैती ,उद्यापन ,चोरी, भूमि हथियाना, वेश्यावृत्ति, फिरौती कई अपराधो को जोड़ा है इसमें आर्थिक अपराध भी शामिल है धारा 110 में छोटे संगठित अपराध के बारे में बताया गया है धारा 111 में आतंकवादी कार्यों के अपराधों का विवरण किया गया है पूर्व की भारतीय दंड संहिता में उपहति अर्थात चोटों के विषय में (धारा 319 से धारा 329 )तक बताया गया था अब नई संहिता में उपहति धारा 112 घोरउपहति 114, स्वेच्छा उपहति 113में स्वेच्छा घोरउपहति धारा 115 में खतरनाक हथियारों से स्वेच्छा उपहति धारा 116 में संपत्ति उद्यापित, स्वेच्छा उपहति घोरउपहति धारा 117 में संस्वीकृति उद्यापित करने के लिए धारा 118 में लोक सेवक को घोर उपहति कारीत करने के लिए धारा 119 में प्रकोपपन पर घोरउपहति कारीत करने के लिए धारा 120 ,,,,विष इत्यादि से उपहति धारा 121 एसिड इत्यादि से उपहति धारा 122 कार्य जिससे दूसरों का जीवन संकटापन्न हो पूर्व की (धारा 336) को नई संहिता अनुसार धारा 123 मैं वर्णित किया गया हैसदोष अवरोध* अवरोध पुरानी दंड संहिता में धारा 339 में था नई न्याय संहिता 2023 के अनुसार यह धारा 124 में वर्णित किया गया है इसी प्रकार *सदोष परिरोध* 340 नई संहिता अनुसार धारा 125 में वर्णित है *बल* 349 नई संहिता में 126, आपराधिक बल धारा धारा 350 नई संहिता में धारा 127,,, *हमला* धारा 351 नई संहिता में धारा 128 में वर्णित किया गया है गंभीर प्रकोप से हमला करना पूर्व भारतीय दंड संहिता में 351 नहीं संहिता में जुल्म धारा 129 में बताया गया है लोक सेवक को अपने कर्तव्य से भय कारित करना 353 नई संहिता में धारा 130 इसी प्रकार *व्यपहरण* धारा 359 नई संहिता में धारा 135 *अपहरण* धारा 362 नई संहिता में 136 ,,, राज्य के विरुद्ध अपराधों के संदर्भ में धारा 145 राज्य सरकार के विरुद्ध युद्ध करना, युद्ध का प्रयत्न करना, दुस्प्रेरण करना पूर्व धारा 121 में था -नई भारतीय न्याय संहिता मैं यह प्रावधान धारा 145 से 156 तक किए गए हैं लोक प्रशांति अपराधों के विषय में धारा 187 विधि विरुद्ध जमाव पूर्व धारा 141, धारा 188 विधि विरुद्धजमाव का हर सदस्य सामान्य उद्देश्य ,,नई संहिता के अनुसार धारा 149, धारा 189 बलवा करना नई संहिता में 146, दंगा करना.धारा 192 पुरानी भारतीय दंड संहिता में धारा 159 में बताया गया है.
_ धारा 194 धर्म, मूल, वंश, जन्म स्थान, निवास स्थान ,भाषा की तैयारी के आधारों पर विभिन्न समूह में शत्रुता पैदा करना आपसी सोहार्द मे प्रतिकूल प्रभाव डालना बताया गया है भारतीय दंड संहिता में धारा 153 ए ( पूर्व आईपीसी) में वर्णित था धारा 195A राष्ट्रीय अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले लांछन डालने वाले धारा पुरानी (आईपीसी में 153) भी में वर्णित था, धारा 197 लोक सेवक जो विधि के अधीन निर्देशों की अवज्ञा करता है पुरानी (आईपीसी में धारा 167 ए) में बताया गया था। धारा 215 इस आशय से मिथ्या ईतला देने की लोक सेवक अपनी विधि पूर्ण शक्ति का उपयोग दूसरे व्यक्ति की क्षतिकारित करने के लिए करें पुरानी (आईपीसी में धारा 182 )में बताया गया था इसी प्रकार नई न्याय संहिता में धारा 219 लोक सेवक को उसके लोक कर्तव्य के निर्वहन में बाधा डालना (धारा 186 में )था नई धारा 222 लोक सेवक को क्षति करने की धमकी( पुरानी धारा 189) धारा 225 उक्त विधि संहिता में लोक साक्ष्य लोक न्याय के अपराधों के विषय में धारा 225 से लेकर 267 तक प्रावधान किए गए हैं पूर्व के (आईपीसी में धारा 151 से लेकर 229 )तक ये वर्णित किए गए हैं नई संहिता में लोक स्वास्थ्य,क्षेम, सुविधा, शिष्टता व सदाचार के अपराधों के विषय में धारा 268 से 295 तक प्रावधान किए गए हैं इसी प्रकार धर्म से संबंधित अपराधों के विषय में धारा 296 से 300 तक के प्रावधान किए गए हैं नई संहिता में संपत्ति के विरुद्ध अपराधों में धारा 301 से लेकर जुल्म धारा 332 तक प्रावधान किए गए हैं जिसमें प्रमुख रूप से निम्न प्रकार है *चोरी* की परिभाषा( पुरानी धारा 378) ,नई धारा 301 चोरी (झपट मारी) (पुरानी धारा 379) नई धारा 302 ,गृह निवास आदि में चोरी( पुरानी धारा 380) नई धारा 303, लिपिक लोक सेवक द्वारा स्वामी के कब्जे से चोरी करना( पुरानी धारा 381) नई धारा 304, चोरी करने के लिए मृत्यु या उपहती या अवरोध कारित करने के पश्चात चोरी करना (पुरानी धारा 382 )नई धारा 305, भारतीय नई संहिता मै है उद्यापन (पुरानी धारा 383 )नई धारा 306, लूट (पुरानी धारा 390 )नई धारा 307,, डकैती (391) नई धारा 308,संपत्ति का (अपराधिक न्यासभंग धारा 403) नई संहिता में धारा 314 अपराधिक न्यास भंग धारा 405 नई संहिता में 314 ,चुराई गई संपत्ति को प्राप्त करने के विषय में (धारा 410 )नई धारा 315 ,छल (415 )नई धारा 316 ,इसी प्रकार रिष्टि (425 )नई धारा 322 ,आपराधिक अतिचार (441) तथा गृह अतिचार ,गृह भेदन (442 )व (445) नई धारा 327 एवं 328 में वर्णित किया गया है धारा 329, 330 ,331 ,332 ,में गृह अतिचार व गृह भेदन के अलग-अलग धाराओं को बताया गया है सहिता में दस्तावेजों व संपत्ति चिन्हो, अपराधों के विषय में धारा 333 से लेकर 348 तक में प्रावधान किए गए हैं अपराधिक अभित्रास 349 में बताया गया है पुरानी आईपीसी में( धारा 503 )में बताया गया था लोक शांति को भंग करने को लोक शांति भंग कर प्रकोपित के आशय से साशय अपमान करना को धारा 350 में बताया गया है पूर्व में (504 )आईपीसी में बताया गया था मानहानि को 354 में बताया गया है पूर्व में इसे( धारा 499 वह 500) में बताया गया था .
इसी प्रकार नई भारतीय न्याय संहिता अर्थात भारतीय न्याय संहिता 2023 के प्रमुख बिंदु व धाराएं हमने यह विवेचन की है जैसा कि पूर्व के लेख में बताया गया था कि यह अभी कानून बना नहीं है यह अभी बिल है जिसे संसदीय कमेटी के पास भिजवाया गया है जहां से लोकसभा, राज्यसभा ,महामहिम राष्ट्रपति ,इन सभी से पास होकर यह कानून का रूप लेगा जिसमें 1 वर्ष से अधिक समय लग सकता है तब तक पुरानी IPC भारतीय दंड संहिता 1860 ही लागू रहेगी.