जनहित याचिका …………(P.I.L) आजकल हम देखते हैं कि देश की माननीय सर्वोच्च न्यायालय व राज्य की उच्चतम न्यायालयों ने जनसाधारण से जुड़े मामलों के बारे में निर्णय प्रकाशित होते हैं आम जानकारी के अनुसार ये जनहित याचिका होती है जिन्हें (P.I.L) कहते हैं परंतु आम जनसाधारण को जनहित याचिकाओं के बारे में पूर्ण जानकारी नहीं है देश के कुछ सामाजिक संगठनों व कानून के कुछ जानकारों द्वारा ही जनहित याचिका न्यायालयों मैं दायर की जाती है आम सामान्य जन को इसकी आज भी जानकारी कम है . जनहित याचिका क्या है?… जनसाधारण को ध्यान में रखते हुए जनता के हितों से संबंधित कोई समस्या जो निजी नहीं होकर जनसाधारण से संबंधित हो आम जनता के लिए बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन होने पर जैसे जनसंख्या विस्फोट ,पर्यावरण ,शिक्षा ,राजनीतिक निर्णय, नए कानूनों का गठन, सरकार की नीतियां, परीक्षाओं में धांधली, सरकार के बनाए कानून, पुलिस की कार्रवाई ,जेलों में बंदियों के अधिकार, कानून व्यवस्था ,इत्यादि कोई भी विषय हो सकता है जो आम जनता से जुड़ा हो और परंतु व्यक्तिगत ना हो इसके लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय व राज्य की उच्चतम न्यायालय ने ऐसी जनहित याचिका दायर की जा सकती है माननीय सर्वोच्च न्यायालय में संविधान के अनुच्छेद 32 व उच्चतम न्यायालय में अनुच्छेद 226 के तहत ऐसी याचिका न्यायालय मैं प्रस्तुत की जा सकती है भारत के किसी कानून में जनहित याचिका की कोई परिभाषा नहीं दी गई है जनहित याचिका की अवधारणा अमेरिका के विधिशास्त्र से ली गई है भारत में जनहित याचिका के जनक माननीय न्यायमूर्ति पीएन भगवती को कहा जाता है जिन्होंने एक पोस्टकार्ड पर भेजी समस्या / शिकायत को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार करना बताया था
जनता के बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन होने पर जनसाधारण के हितों को ध्यान में रखकर ऐसी जनहित याचिका न्यायालय मेँ दायर की जा सकती है न्यायालय इन्हें बिना कोई शुल्क के भी सुन सकता है जिसमें याचिकाकर्ता स्वयं भी बहस कर सकता है लेकिन जानकार वकील से बहस करवाना उचित रहता है याचिका प्रस्तुत करने के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय व उच्चतम न्यायालय के अलग-अलग नियम बने हुए हैं जिन्हें पढ़कर व समझकर माननीय उच्चतम न्यायालय में दो प्रतियों में याचिका प्रस्तुत की जाती है इससे पहले प्रत्येक प्रतिवादी को एक प्रति भिजवाई जाती है माननीय सर्वोच्च न्यायालय में याचिका की कुल 5 प्रतिया और प्रत्येक प्रतिवादी के लिए अलग से प्रति भिजवाई जाती है इसके साथ ही याचिकाकर्ता को एक शपथ पत्र इस आशय का देना पड़ता है कि याचिकाकर्ता जनहित याचिका उसके निजी हित व राजनीति से प्रेरित नहीं है अगर न्यायालय कोस्ट लगाता है तो वह अदा करेगा याचिकाओं का शुल्क बहुत ही कम होता है यह ₹50 से लेकर ₹ 150 तक होता है जनता के सार्वजनिक हितों प्राण देहिक स्वतंत्रता, मूल अधिकारों का उल्लंघन व्यक्तियों के जीवन से संबंधित याचिका प्रस्तुत की जाती है वर्तमान में जनहित याचिकाओं का दुरुपयोग भी बहुत हो रहा है इसलिए यह ध्यान रखें कि जनहित याचिका निजी हितों से संबंधित नहीं हो एवं राजनीति से प्रेरित नहीं हो अन्यथा न्यायालय द्वारा याचिकाओं को खारिज कर भारी कॉस्ट याचिकाकर्ता पर लगा देता है.
जनहित याचिका जनता को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करती है उनके मौलिक अधिकारों को विस्तार देती है कार्यपालिका व विधायिका को सही मार्गदर्शन प्रदान करती है ऐसी याचिकाओं पर न्यायालय स्वयं संज्ञान ले सकता है हाल ही में गुजरात में ज़ब मोरबी ब्रिज टूट गया था जिसमें सैकड़ों लोगों की जान गई थी तब इस विषय पर गुजरात उच्च न्यायालय ने स्वयं संज्ञान लेकर कार्रवाई शुरू की थी इसी प्रकार श्रीमती वीणा सेठी बनाम बिहार राज्य AIR 1983 सर्वोच्च न्यायालय 339 के मामले में न्यायालय ने याचिकाकर्ता द्वारा भेजे गए पत्र को जनहित याचिका के रूप में मानते हुए, न्यायालय ने इस संबंध में तथ्यों का पता लगाने के उद्देश्य से बिहार राज्य को नोटिस जारी किया। ऐसे कुछ लोग हैं जो समुदाय के कमजोर वर्गों के बुनियादी मानवाधिकारों को लागू करने के लिए सार्वजनिक उत्साही व्यक्तियों और संगठनों द्वारा संबोधित पत्रों पर न्यायिक कार्रवाई करने की इस न्यायालय द्वारा अपनाई गई प्रथा के आलोचक हैं। यह आलोचना अत्यधिक अभिजात्यवादी दृष्टिकोण पर आधारित है और पुराने एंग्लो-सैक्सन न्यायशास्त्र द्वारा पवित्र किए गए संस्कारों और अनुष्ठानों के प्रति अंध जुनून से आगे बढ़ती है। इस आलोचना का सबसे पूर्ण खंडन इस मामले में न्यायालय द्वारा की गई कार्रवाई से मिलता है। यह 15 जनवरी 1982 को निःशुल्क कानूनी सहायता समिति हज़ारीबाग़ द्वारा हममें से एक (भगवती, जे.) को संबोधित एक पत्र था। निःशुल्क कानूनी सहायता समिति: हज़ारीबाग के पत्र ने इन कैदियों की दुर्दशा को न्यायालय के संज्ञान में लाया और इस पत्र को एक रिट याचिका के रूप में मानते हुए, न्यायालय ने इस संबंध में तथ्यों का पता लगाने के उद्देश्य से बिहार राज्य को नोटिस जारी किया।जनहित याचिका की परिभाषा किसी कानून में नहीं दी गई है परंतु जनता दल बनाम एच एस चौधरी AIR 1993 सर्वोच्च न्यायालय 892 के मामले में न्यायालय में जनहित याचिका को समझाया है
जनहित याचिका एक हथियार है जिसका उपयोग बहुत सावधानी और सावधानी से किया जाना चाहिए और न्यायपालिका को यह देखने के लिए बेहद सावधान रहना होगा कि सार्वजनिक हित के सुंदर पर्दे के पीछे एक बदसूरत निजी द्वेष, निहित स्वार्थ और/या प्रचार-
तलाश करना गुप्त नहीं है. इसे नागरिकों को सामाजिक न्याय दिलाने के लिए कानून के शस्त्रागार में एक प्रभावी हथियार के रूप में उपयोग किया जाना है। जनहित याचिका के आकर्षक ब्रांड नाम का इस्तेमाल शरारत के संदिग्ध उत्पादों के लिए नहीं किया जाना चाहिए। इसका उद्देश्य वास्तविक सार्वजनिक गलती या सार्वजनिक चोट का निवारण करना होना चाहिए और यह प्रचार-उन्मुख या व्यक्तिगत प्रतिशोध पर आधारित नहीं होना चाहिए। जैसा कि ऊपर बताया गया है, अदालत को यह देखने में सावधानी बरतनी चाहिए कि व्यक्तियों का एक समूह या जनता का सदस्य, जो अदालत में आता है, वह ईमानदारी से काम कर रहा है, न कि व्यक्तिगत लाभ या निजी मकसद या राजनीतिक प्रेरणा या अन्य परोक्ष विचारों के लिए। अदालत को अपनी प्रक्रिया का दुरुपयोग नकाबपोश प्रेतों द्वारा, जो कभी-कभी पीछे से निगरानी करते हैं, अप्रत्यक्ष कारणों से करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। निहित स्वार्थ वाले कुछ व्यक्ति आदत के बल पर या अनुचित उद्देश्यों से न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करते हैं और अच्छे सौदे के लिए सौदेबाजी करने के साथ-साथ खुद को समृद्ध बनाने का प्रयास करते हैं। अक्सर वे कुख्याति या सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की इच्छा से प्रेरित होते हैं। ऐसे व्यस्त लोगों की याचिकाएं सीमा पर ही खारिज कर दी जानी चाहिए, और उचित मामलों में अनुकरणीय लागत के साथ खारिज कर दी जानी चाहिए
.न्यायालयों मैं पहले से ही सैकड़ों में पेंडिंग है और इन दिनों पी आई एल जनहित याचिका की संख्या भी बढ़ती जा रही है ऐसे में मुकदमों काशीघ्र निस्तारण व जनहित याचिकाओं का दुरुपयोग एक चिंता का विषय है जनहित याचिका है सरकार के विरुद्ध व गैर सरकारी संगठनों के विरुद्ध भी की जा सकती है.
हम यहां कुछ महत्वपूर्ण विषय से संबंधित निर्णयों की जानकारी आपको बता रहे हैंजिन्हे पढ़कर आप जनहित याचिका को अच्छे से समझ सकते है इसके लिए यहां इन फेसलो के link भी दिए जा रहे है ताकि आप इन्हे डाउनलोड कर सके (1) जेल में बंद कैदियों के मूल अधिकारों के लिए हुसैना खातून बनाम बिहार राज्य (2) जनसंख्या विस्फोट के लिए जावेद बनाम हरियाणा राज्य (3)बच्चों के शिक्षा व स्वास्थ्य के लिए बंधुआ मुक्ति मोर्चा बनाम भारत सरकार (4) नर्मदा बचाओ अभियान के लिए सरकार बनाम नर्मदा बचाओ आंदोलन (5) पर्यावरण के लिए बनाम भारत सरकार (6) भोपाल गैस त्रासदी कांड के लिए एम सी मेहता बनाम भारत सरकार (7) गंगा नदी के पानी प्रदूषण पर एम सी मेहता बनाम भारत सरकार (8) अस्पतालों में आपातकालीन सेवाओं के बारे में परमानंद कटारा बनाम भारत सरकार (9) कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा के बारे में विशाखा बनाम राजस्थान सरकार