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घरेलू हिंसा अधिनियम 2005  PDF

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  1. घरेलू हिंसा अधिनियम 2005  ——                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                          आज भी हमारे देश में संयुक्त परिवार प्रणाली विद्यमान है  हैं आज भी बहुत से परिवार एक ही छत के नीचे निवास करते हैं महिलाओं के प्रति किए जाने वाले अपराध सार्वजनिक स्थलों के अलावा घर की चारदीवारी के अंदर ही बहुत होते है बंद कमरों में महिला पर हुए अत्याचार की आवाज कई बार घर की चार दीवारों से टकराकर बाहर तक नहीं पहुंच पाती है ऐसी महिलाओं के अधिकारों के लिए जो घरेलू हिंसा से जो प्रताड़ित है 2005 में इस अधिनियम का निर्माण भारत के संसद द्वारा किया गया इस अधिनियम की धारा 3 में बताया गया कि घरेलू हिंसा क्या होती है धारा 3 अनुसार व्यक्ति का कोई भी कार्य लोप या आचरण घरेलू हिंसा के रूप में होगा यदि वह व्यथित के स्वास्थ्य की अपहानि या क्षति करने वाला है यह संकटपन्न करता है है या ऐसा कार्य करने वाला है जिसके अंतर्गत शारीरिक दुर्व्यवहार लैंगिक दुर्व्यवहार मौखिक व भावनात्मक दुर्व्यवहार शामिल है अथवा दहेज या संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति की विधि विरुद्ध मांग की पूर्ति के लिए प्रताड़ित किया जाता है तो ऐसे सभी कार्य घरेलू हिंसा के रूप में आते हैं, किसी व्यथित व्यक्ति द्वारा न्यायालय में आवेदन प्राप्त होने पर न्यायालय संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी करता है और दोनों पक्षों की बात सुनता है , ऐसी सुनवाई बंद कमरे में भी कर सकता है व्यथित व्यक्ति और पक्षकार दोनों  की सुनवाई के पश्चात न्यायालय आवेदन कर्ता के पक्ष में निवास निवास का आदेश, आर्थिक सहायता का आदेश, अभिरक्षा का आदेश, प्रतिकर्  करने का आदेश, जारी कर सकता है न्यायालय द्वारा जारी किसी भी आदेश को भंग करने पर आरोपी को 1 वर्ष के कारावास और ₹20000 के जुर्माने या दोनों से दंडित किया जा सकता है यह अपराध congnizable एवं गैर जमानती होता है अर्थात पुलिस न्यायालय की अनुमति के बिना आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है इस अधिनियम में प्रमुख रूप से साँझा गृहस्थी में रहने वाले पीड़ित को घरेलू हिंसा से मुक्ति दिलवा ना और उसके निवास भरण पोषण जीवनयापन के संदर्भ में कार्रवाई करना है पीड़ित व्यक्ति ऐसे आर्थिक व वित्तीय संसाधनों की मांग भी न्यायालय से कर सकता है जो कि उसे परिवार में घरेलू हिंसा के कारण प्राप्त नहीं हो रहे हो जिनमें आर्थिक सहायता चिकित्सा सुविधा निवास की सुविधा प्रतिकर की सुविधा आदि सम्मिलित है घरेलू हिंसा के अंतर्गत कोई अपने किसी कार्य आचरण या लोप से जो किसी व्यक्ति का शारीरिक मानसिक लैंगिक आर्थिक और भावनात्मक दुर्व्यवहार कर उत्पीड़न करता है तो वह घरेलू हिंसा का दोषी माना जाएगा घरेलू हिंसा की शिकायतपुलिस अधिकारी सक्षम अधिकारी सेवा प्रदाता या संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज करवाई जा सकती है.                                                      SEE PDF ACT BELOW THE POST

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