अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम 1956- देश में स्त्रियों तथा लड़कियों के अनैतिक देह व्यापार का दमन करने के लिए यह अधिनियम बनाया गया पूर्व में अधिनियम 1958 में लागू हुआ था लेकिन कुछ संशोधन के बाद यह अधिनियम 26 जनवरी 1987 मैं लागू किया गया था इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को देह व्यापार और वेश्यावृत्ति से मुक्त कराना एवं महिलाओं को समाज में गरिमा पूर्ण जीवन जीने के लिए उनके पुनर्वास की व्यवस्था करना है। धारा 3— में वेश्या घरों को चलाने परिसरों इत्यादि को वेश्या घर के रूप में प्रयुक्त करने के लिए दंड की व्यवस्था की गई है यदि कोई व्यक्ति वेश्या घर चलाता है तो प्रथम दोष सिद्धि पर 1 वर्ष से अन्यूनीय सजा जो 3 वर्ष तक की हो सकेगी एक कठोर कारावास व जुर्माने जो 2000 तक का हो सकेगा से दंडनीय होगा अपराध की पुनरावृति करने पर ऐसे व्यक्ति कम से कम 2 वर्ष और अधिक 5 वर्ष तक कठोर कारावास व जुर्माने से दंडित किया जा सकेगा, यदि कोई व्यक्ति किसी परिसर का किराएदार पटटेदार या भारसाधक व्यक्ति होते हुए अपने परिसर या परिसर के किसी भाग को वेश्या घर के रूप में प्रयुक्त करेगा या किसी को प्रयोग करने देगा या ऐसे परिसर को पट्टे पर देगा जहां वेश्या घर के रूप में चलाया जाता है तो ऐसे व्यक्ति को प्रथम अपराध पर 2 वर्ष व जुर्माना तथा अपराध की पुनरावृति पर 5 वर्ष की सजा दी जा सकेगी . धारा 4— में वेश्यावृत्ति के उपार्जनो पर जीवन निर्वाह के लिए दंड की व्यवस्था की गई है अर्थात कोई व्यक्ति 18 वर्ष से कम आयु का है वेश्यावृत्ति के उपार्जनो पर जीवन निर्वाह करेगा किसी वेश्या के साथ निवास करता है वेश्यावृत्ति में दलाली का कार्य करेगा तो ऐसे लोगों के लिए 2 वर्ष की सजा व जुर्माने का प्रावधान है परंतु वेश्यावृत्ति किसी बालक या 18 वर्ष से कम अर्थात अवयस्क से संबंधित है तो ऐसी सजा कम से कम 7 वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष की सजा से दंडनीय होगा । धारा 5—- में किसी व्यक्ति को वेश्यावृत्ति के लिए उप्राप्त करना प्रेरित करना या ले जाना अपराध घोषित किया गया है अर्थात किसी व्यक्ति को उसकी सहमति या बिना सहमति के वेश्यावृत्ति के लिए उप्राप्त या उपापत करने का प्रयास करना उसे वेश्यावृत्ति के उतप्रेरित करना वेश्यावृत्ति के स्थान पर ले जाना अपराध है इसके लिए कम से कम 3 वर्ष व अधिकतम 7 वर्ष का कठोर कारावास व जुर्माने का प्रावधान है . धारा 6– में किसी व्यक्ति को ऐसे परिसर पर निरुद्ध करना जहां वेश्यावृत्ति की जाती है दंडनीय अपराध है कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को उसकी सहमति या उसके सहमति के बिना वेश्यावृत्ति में निरुद्ध करेगा या मिथुन के आशय से निरुध करेगा तो कम से कम सात पके वह आजीवन कारावास या 10 वर्ष के कारावास से दंडनीय होगा । धारा 7– में सार्वजनिक स्थान या उसके समीप वेश्यावृत्ति को दंडनीय घोषित किया गया है अर्थात सार्वजनिक धार्मिक स्थलों पूजा स्थलों शैक्षणिक संस्थान छात्रावास अस्पताल इत्यादि पर वेश्यावृत्ति की जाने पर 3 माह के कारावास से दंडित होगा लेकिन यदि ऐसा अपराध किसी बालक या अवयस्क संबंधित है तो सजा की अवधि आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक की हो सकेगी अधिनियम के अंतर्गत समस्त अपराध संज्ञेय होंगे धारा 15 के अनुसार पुलिस को बिना वारंट की तलाशी लेने का अधिकार होगा. SEE PDF ACT BELOW THE POST—-
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